Mahabharat : हिंदू धर्म में महाभारत एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया है। इसके अलावा, हस्तिनापुर राज्य को लेकर भाइयों के बीच हुई लड़ाई का भी जिक्र किया गया है। बता दें कि यह अधर्म पर धर्म, असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक था। इस लड़ाई में कई महान योद्धाओं ने अपना योगदान दिया है। जिन्हें सदियों से याद किया जाता रहा है और आगे भी किया जाता रहेगा। उनका नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जा चुका है। महाभारत का यह युद्ध कुल 18 दिनों तक कुरुक्षेत्र में लड़ी गई थी। इस दौरान संजय राजा धृतराष्ट्र को रणभूमि में चल रही बातों का आंखों देखा हाल बता रहे थे। इस दौरान उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही थी। अर्जुन के अलावा भगवान श्री कृष्ण के विराट रूप को संजय ने भी देखा था।
अब मन में प्रश्न यह उठता है कि महाभारत युद्ध के समय इतना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले संजय का जीवनकाल क्या रहा। वैसे तो हर किरदार के बारे में जानकारी है कि उनका अंत कैसे हुआ और कैसे फिर नए युग की शुरुआत हुई, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा कि युद्ध का आंखों देखा हाल बताने वाले संजय के साथ अंत में क्या हुआ था?
गए थे वन
जैसा की महाभारत में यह बताया गया है कि युद्ध के बाद धृतराष्ट्र, गांधारी और माता कुंती धर्मराज युधिष्ठिर को राज-पाठ सौंपते हुए वन की ओर निकल जाते हैं। इस दौरान उनके साथ संजय भी साथ गए थे। धृतराष्ट्र का अग्निहोत्री यज्ञ का निर्णय लिया गया था। इसकी जानकारी संजय ने ही महर्षि व्यास को दी थी। इस दौरान संजय के मन में एक प्रश्न उठता है, जो जन्म और मृत्यु से जुड़ा होता है, इसलिए वह अपने अनुभव के साथ हिमालय की ओर बढ़ जाते हैं। इसके साथ ही आत्मा की शांति के लिए वह हिमालय पहुंच जाते हैं। इसके बाद वह ध्यान और तपस्या करते हैं, जहां उन्हें ज्ञान मिलता है।
ऐसे हुआ अंत
संजय का अंत ज्ञान और समर्पण के साथ हुआ है। उनका जीवन सच्चे इंसान के रुप में व्यतीत हुआ, जिन्होंने हमेशा दूसरों का कल्याण किया है। ऐसे लोगों को स्वर्ग में जगह मिलती है। इसलिए इंसान को हमेशा सच्चाई और अच्छाई के रास्ते पर चलना चाहिए, ताकि बुराई उनके आसपास भी ना भटके।
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