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Fri, Dec 19, 2025

5 सितंबर को है ओणम, केले के पत्ते पर सर्व कि‍ए जाएंगे 25 तरह के शाकाहारी व्यंजन!

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
भारत की सांस्कृतिक विविधता में केरल का ओणम त्योहार विशेष स्थान रखता है। अगस्त-सितंबर में मनाया जाने वाला यह पर्व राजा महाबलि की स्मृति और सामाजिक एकता का प्रतीक है। फूलों की सजावट, नौका दौड़ और पारंपरिक साध्या भोज इसकी खासियत है।
5 सितंबर को है ओणम, केले के पत्ते पर सर्व कि‍ए जाएंगे 25 तरह के शाकाहारी व्यंजन!

भारत त्योहारों (ओणम) की धरती है। यहां हर कुछ किलोमीटर पर भाषा बदलती है तो त्योहारों का रंग-ढंग भी… कभी कहीं ढोल-नगाड़ों की गूंज सुनाई देती है, तो कहीं फूलों से सजे आंगनों में खुशियां खिलखिलाती हैं। यही वजह है कि भारत को सांस्कृतिक विविधता का सबसे बड़ा उदाहरण माना जाता है। दीपावली, होली, ईद, क्रिसमस, बिहू, बैसाखी या गणेशोत्सव… हर पर्व के पीछे कोई न कोई कथा, विश्वास और परंपरा जुड़ी होती है।

इन्हीं में से एक केरल का ओणम त्योहार भी है, जो सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि सामाजिक एकता, आनंद और भोजन-संस्कृति का अनोखा संगम है। इस साल यह पर्व 5 सिंतबर को मनाया जाएगा।

ओणम

ओणम हर साल अगस्त-सितंबर के बीच मलयालम कैलेंडर के चिंगम महीने में मनाया जाता है। इसे केरल का राष्ट्रीय पर्व कहा जाता है। परंपरा के अनुसार यह त्योहार राजा महाबलि की स्मृति से जुड़ा है। कथा के अनुसार, महाबलि एक उदार और न्यायप्रिय शासक थे। उनके शासनकाल को सुनहरा युग माना जाता है। मगर देवताओं को उनकी बढ़ती शक्ति से भय हुआ और भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर उनसे तीन पग भूमि मांगी।

महाबलि ने सहर्ष स्वीकार किया और जब वामन ने ब्रह्मांड नाप लिया, तो तीसरे पग के लिए उन्होंने अपना सिर आगे कर दिया। उनकी इस त्याग भावना से प्रसन्न होकर विष्णु ने आशीर्वाद दिया कि महाबलि साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने लौटेंगे। इसी आगमन का स्वागत ओणम के रूप में होता है।

विश्वभर में मनाया जाने वाला पर्व

आज ओणम सिर्फ केरल तक सीमित नहीं है। खाड़ी देशों से लेकर सिंगापुर, मलेशिया, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया तक जहां भी मलयाली समुदाय रहता है, वहां ओणम का उत्सव उसी उत्साह के साथ मनाया जाता है। फूलों से बने पूकलम, नौका दौड़, पारंपरिक नृत्य और सबसे खास ओणम साध्या इस पर्व को यादगार बना देते हैं। केरल की एक कहावत है “कानम विट्टुम ओणम उन्नाम” यानी ओणम का आनंद लेने के लिए चाहे अपनी संपत्ति क्यों न बेचनी पड़े, लेकिन यह पर्व अवश्य मनाना चाहिए।

साध्या

ओणम की असली रौनक साध्या से होती है। साध्या का शाब्दिक अर्थ भोज है। परंपरागत रूप से साध्या केले के पत्ते पर परोसी जाती है और इसमें करीब 25 से 30 तरह के शाकाहारी व्यंजन शामिल होते हैं। हर व्यंजन का स्वाद, सुगंध और बनावट अलग होती है।

साध्या की थाली

  • अवियल
  • पचड़ी
  • थोरन
  • सांभर और रसम
  • ओलन
  • कलन
  • परीप्पू करी
  • पुलिसेरी
  • पायसम

हर डिश केले के पत्ते पर परोसी जाती है। पहले नमकीन और करी, फिर अंत में पायसम।

होटल से घर तक

आज साध्या सिर्फ घरों और मंदिरों तक सीमित नहीं रही। देशभर के बड़े होटल, रेस्टोरेंट और यहां तक कि दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहरों में फूड चेन भी ओणम के मौके पर विशेष साध्या मेन्यू लेकर आते हैं। पांच सितारा होटल से लेकर पारंपरिक भोजनालय तक इस दौरान खास बुकिंग होती है। इतना ही नहीं, कई जगह गैर-मलयाली लोग भी इस स्वाद और परंपरा का हिस्सा बनने को बेताब रहते हैं।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)