सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण की बहुत सारी कहानियां ग्रंथों में प्रचलित हैं। जिन्हें बांसुरी बहुत अधिक प्रिय था। वास्तु शास्त्र में इस बात का जिक्र पाया जाता है कि यदि घर में बांसुरी रखा जाए, तो सुख और शांति का वास होता है। साथ ही आसपास मौजूद नकारात्मक ऊर्जाएं दूर होती हैं। बांसुरी की धुन भक्तों को कृष्ण भक्ति का एहसास कराती है। इसे बजाकर लोग आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ मानसिक शांति भी प्राप्त करते हैं।
हालांकि, आज के आर्टिकल में हम आपको यह बताएंगे कि आखिर भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी कैसे प्राप्त हुई थी, जो कि प्रेम और खुशी का प्रतीक माना जाता है।

इस देव ने बांसुरी की थी भेंट
धार्मिक मान्यताओं और विभिन्न ग्रंथों के मुताबिक, समय-समय पर देवी-देवताओं ने धरती पर मनुष्य के रूप में जन्म लिया है। ऐसे में द्वापर युग के दौरान जगतपालक भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। इस दौरान सभी देवी-देवताओं से मिलने के लिए धरती पर आए थे। ऐसे में देवों के देव महादेव ने भी भगवान श्रीकृष्ण से मिलने का फैसला किया और उन्हें भेंट स्वरूप कुछ देने का सोचा। वह ऐसा चाहते थे कि उनकी भेट भगवान श्रीकृष्ण के लिए प्रिय चीज बन जाए। तब उन्हें यह स्मरण हुआ कि उनके पास ऋषि दधीचि की हड्डियां रखी हुई हैं। जिसे उन्होंने बांसुरी का रूप दिया और धरती पर मिलने के दौरान उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को यह भेंट के रूप में दी।
कौन थे ऋषि दधीचि?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऋषि दधीचि एक प्रसिद्ध ऋषि थे, जिन्होंने अपनी तपस्या से सभी देवी-देवताओं को प्रसन्न किया था। इसके अलावा, उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपने शरीर की हड्डियों को दान में दिया था। जिसे भगवान शिव ने बांसुरी का रूप दिया। इसके बिना भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार अधूरा माना जाता है।
करें ये उपाय
धार्मिक मान्यताओं में इस बात का जिक्र किया गया है कि जो भी भक्त घर में बांसुरी रखेगा, उसे हर काम में सफलता प्राप्त होगी। उसके बिगड़े हुए काम बनने लगेंगे, ग्रह-कालचक्र से छुटकारा मिल जाएगा। आप इस बांसुरी को घर में लाकर मंदिर में रख सकते हैं। इससे जीवन में चल रही समस्याएं दूर होंगी। साथ ही खुशियों का आगमन होगा।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)