Hindu Marriage Rules: हिंदू धर्म में संस्कारों की कुल संख्या 16 मानी गई है। जिनमें से विवाह को एक पवित्र संस्कार माना गया है, विवाह के पहले वर और वधू की कुंडली मिलान और गोत्र मिलान की परंपरा निभाई जाती है। इस दौरान यह देखा जाता है, कि कहीं वर और वधू के गोत्र एक तो नहीं है, क्योंकि एक गोत्र में विवाह करना अशुभ माना जाता है।
अगर लड़का और लड़की का गोत्र एक ही निकलता है, तो फिर उस रिश्ते को वही रोक दिया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर एक ही गोत्र के लड़का और लड़की शादी क्यों नहीं कर सकते हैं, आईए जानते हैं कि किन कारणों से एक ही गोत्र में विवाह नहीं किया जाता है।
भाई-बहन जैसा संबंध?
गोत्र व्यक्ति की पहचान और वंश परंपरा का प्रतीक होता है। जब लड़का और लड़की एक ही गोत्र के होते हैं, तो इसका मतलब है कि वे दोनों कहीं ना कहीं रिश्ते में भाई-बहन लगेंगे। भले फिर उनका परिवार एक दूसरे को जानता भी ना हो, और वे लोग कभी एक दूसरे से मिले भी ना हो।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देखा जाए तो एक ही गोत्र में विवाह करने से दोनों को एक ही परिवार का सदस्य माना जाता है। जिसे धार्मिक दृष्टि से अनुचित माना जाता है साथ ही साथ सामाजिक परंपराओं के भी हिसाब से गलत माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार क्यों है पाप?
शास्त्रों के अनुसार एक ही वंश या गोत्र में जन्मे व्यक्तियों का विवाह करना किसी पाप से कम नहीं माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि एक ही गोत्र में विवाह करने से दोष उत्पन्न हो सकता है, जो आगे चलकर लड़का और लड़की दोनों के रिश्ते को खराब कर सकता है। इसलिए शादी से पहले हमेशा गोत्र मिलान जरूर किया जाता है।
एक ही गोत्र में शादी करने के नुकसान
अगर लड़का और लड़की एक ही गोत्र के हैं और अगर वे फिर भी एक दूसरे से शादी करते हैं, तो उनकी होने वाली संतान को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इसके अलावा होने वाली संतान के चरित्र और व्यक्तित्व पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। इसलिए हमेशा यही कोशिश करनी चाहिए कि एक गोत्र में शादी ना हो।
अलग-अलग समुदायों की परंपराओं का महत्व
हिंदू धर्म में गोत्र का विशेष महत्व। लेकिन हमें यह भी समझने की जरूरत है कि एक ही गोत्र के अंदर कई अलग-अलग कुल भी होते हैं। इसलिए अलग-अलग समुदायों की अपनी-अपनी अलग-अलग परंपराएं और नियम होते हैं।
कई लोगों के यहां चार गोत्रों से विवाह न करने का रिवाज माना जाता है, तो कई लोगों के यहां तीन गोत्रों से बचने की परंपरा निभाई जाती है। सब लोगों की अपनी परंपरा और नियम होते हैं, लेकिन मकसद सभी का यह होता है कि शादी के बाद वर और वधु को किसी भी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े।
इन चार गोत्र में नहीं किया जा सकता विवाह
पहला गोत्र खुद का, दूसरा मां का और तीसरा दादी का माना जाता है। कुछ-कुछ लोग नानी के गोत्र का भी पालन करते हैं। माना जाता है कि एक ही गोत्र की स्त्री-पुरुष भाई-बहन होते हैं। इसलिए विवाह के समय माता-पिता और दादी-नानी के गोत्र को छोड़कर ही अन्य गोत्र में विवाह किया जा सकता है, ताकि परंपरा का उल्लंघन ना हो। साथ ही साथ भविष्य में आने वाले संतानों की भलाई बनी रहे।