शिवलिंग पर ठंडी चीजें जैसे दूध, दही, जल चढ़ाने की परंपरा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बेहद खास है। शिव को शांत और सौम्य देवता माना जाता है, जिनकी पूजा में ठंडक का विशेष महत्व है। यह न केवल मन की शांति देता है, बल्कि शरीर और वातावरण को भी संतुलित करता है।
भगवान शिव को जल, दूध और दही जैसे शीतल पदार्थ चढ़ाना एक प्राचीन परंपरा है, जिसका उद्देश्य उनकी तपस्वी ऊर्जा को शांत करना होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग पर ठंडी चीजें चढ़ाने से क्रोध शांत होता है, पापों का नाश होता है और मन को शांति मिलती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह प्रक्रिया शरीर में तापमान को संतुलित करती है, और मन को ठंडक देती है। यही कारण है कि सावन, महाशिवरात्रि और सोमवार को विशेष रूप से यह पूजा विधि अपनाई जाती है।

शिव को पसंद हैं ठंडी चीजें
शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को तपस्वी और त्यागी माना जाता है। वे हिमालय पर ध्यानमग्न रहते हैं और ठंडक से जुड़ी चीजों को प्रिय मानते हैं। दूध, दही और गंगाजल चढ़ाने से शिवलिंग पर पॉजिटिव एनर्जी सक्रिय होती है और भक्त को मानसिक शांति मिलती है। विशेष रूप से सावन में यह पूजा विधि अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
वैज्ञानिक कारण, मन और शरीर पर प्रभाव
शिवलिंग पर ठंडे तरल चढ़ाने से न केवल धार्मिक लाभ मिलता है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी यह शरीर में ठंडक लाता है। इससे दिमाग शांत रहता है, स्ट्रेस कम होता है और मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ती है। पूजा के दौरान हाथों से जल, दूध या दही चढ़ाना शरीर के स्नायु तंत्र को शांत करता है और एकाग्रता में सुधार लाता है। गर्मियों में यह प्रक्रिया शरीर की ऊष्मा भी नियंत्रित करती है।
शिवलिंग पर क्या-क्या चढ़ाया जाता है और क्यों?
- दूध: पवित्रता का प्रतीक, मानसिक शुद्धि लाता है
- दही: पाचन शक्ति बढ़ाने वाला, शीतलता का स्रोत
- गंगाजल: आध्यात्मिक शुद्धता, नकारात्मक ऊर्जा का नाश
- बेलपत्र: त्रिदोष संतुलन, शिव को प्रिय
- शहद: मीठा भाव, जीवन में मिठास लाने का प्रतीक