Fri, Dec 26, 2025

जब ईश्वर साथ हैं, तो चिंता क्यों? प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल वचन जो बदल देंगे जिंदगी

Written by:Bhawna Choubey
Published:
जब ईश्वर का आशीर्वाद हर पल हमारे साथ होता है, तो चिंता करना व्यर्थ है. जीवन में आने वाली हर परिस्थिति के पीछे कोई न कोई उद्देश्य छिपा होता है.
जब ईश्वर साथ हैं, तो चिंता क्यों? प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल वचन जो बदल देंगे जिंदगी

प्रेमानंद जी महाराज एक संत और महान योगी हैं जिनकी शिक्षाओं ने अनगिनत लोगों की जिंदगी को नई दिशा दी है. वे हमेशा सत्य, भक्ति और साधना के महत्व को सरल शब्दों में समझाते हैं.

जिस भी व्यक्ति के मन में उलझन चलती रहती है, वे अपनी उलझनों को सुलझाने के लिए प्रेमानंद जी महाराज के पास पहुँचते हैं, उनकी बातें सुनते हैं और समझते हैं. वे हमेशा लोगों को सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्मिक आनंद के साथ जीने के लिए प्रेरित करते हैं.

प्रेमानंद जी महाराज के वचन (Premanand Maharaj)

प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि आप भविष्य की चिंता क्यों करते हो, जब प्रभु का आशीर्वाद हर समय आपके साथ है. प्रेमानंद जी महाराज के प्रेरक वचन हमें बताते हैं, कि हमारी कठिनाइयों के बीच भी ईश्वर की कृपा हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती है.

सब कुछ ईश्वर की इक्छा है

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जो कुछ भी है वह ईश्वर की इक्छा है, बस जीवन में जो कुछ भी चल रहा है उसे स्वीकार करना सीखो. प्रेमानंद जी महाराज के ये वचन से हमें यह सीखने को मिलता है कि जीवन में कठिनाई आती रहती है, इसलिए हमें सब कुछ ईश्वर की इच्छा समझकर आगे बढ़ते रहना चाहिए.

असली सुख मनुष्य के अंदर छुपा हैं

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि ‘मनुष्य का जो असली सुख है, वह उसके अंदर छुपा हुआ है’ बाहर तो केवल एक दिखावा है. इसका यह मतलब है कि जब इंसान की आत्मा सुखी है तो वह असल में सुखी है, लेकिन अगर वह बाहरी दुनिया या फिर दिखावे के चक्कर में ख़ुश हैं तो यह सिर्फ़ कुछ पल की ही ख़ुशी है.

जो व्यक्ति संतुष्ट है वही समृद्ध है

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि ‘जो व्यक्ति संतुष्ट है, वही समृद्ध है’, जीवन में संतुष्टि मिलना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए जो भी व्यक्ति जितनी भी चीज़ें मिली है उसमें संतुष्ट है तो वह दुनिया का सबसे सुखी और समृद्धि व्यक्ति है.

सच्ची भक्ति मन, वचन और क्रिया में है

प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं, की ‘सच्ची भक्ति केवल वह है, जो मन, वचन और प्रक्रिया से भगवान के प्रति समर्पित है’. इस वचन से हमें यह सीखने को मिलता है कि भगवान को मानने के लिए हमारा मन साफ़ होना ज़्यादा ज़रूरी है, ना कि हम रोज़ाना भगवान के सामने घंटों घंटो बैठे. अगर आपका मन साफ़ है, आप दूसरों के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार करते हैं, तो इससे आप भगवान के सामने न बैठकर भी भगवान की भक्ति कर रहे होते हैं.