देश भर में होली को लेकर लोगों में काफी अधिक उत्साह देखने को मिल रहा है। बच्चों में खासकर ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है। बाजार रंग-बिरंगे गुलाल और पिचकारियों से सज-धज कर तैयार हो चुकी है। लोग नए-नए कपड़े खरीदते हैं। घर की साफ-सफाई भी शुरू की जा चुकी है। इस दिन से हिंदू के नए साल का शुभारंभ होता है। लोग पुरानी दुश्मनी को भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं। सभी के घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन भांग पीने की भी पुरानी परंपरा है, जिसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरु हो जाएगी, जिसका समापन 14 मार्च को 12 बजकर 23 पर होगा। ऐसे में 14 मार्च को होली खेली जाएगी। वहीं, होलिका दहन 13 मार्च को होगा।
सफलता के खुलेंगे मार्ग
इस दिन पूजा-अर्चना करना काफी खास माना जाता है। होली के दिन साधक को उनके आराध्य देव की पूजा करनी चाहिए। इससे उनके जीवन में सफलता के मार्ग खुलेंगे। इस दिन मुख्य रूप से प्रहलाद और नरसिंह भगवान को भी याद किया जाता है, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं। ऐसे में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने वाले साधक के जीवन में कभी कोई परेशानी नहीं आती।
महादेव की करें पूजा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव और राधा कृष्ण की पूजा-अर्चना होली पर करना चाहिए। काशी में इस खास अवसर पर चीता की राख से होली खेली जाती है, जिसे लोग मसाने की होली भी कहते हैं। वहीं, शिवालयों में जाकर घी का दीपक जलाते हैं। सुबह से ही भक्तों की भीड़ नजर आती है। इससे शिवजी की कृपा दृष्टि आप पर बनी रहती है।
कृष्ण-राधा की करें पूजा
इसके अलावा, होली पर भगवान कृष्ण और राधा रानी की भी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। यहां मथुरा और वृंदावन में स्थित मंदिरों में लोग विदेश से यहां आते हैं। कृष्ण और राधा प्रेम का प्रतीक माना जाता है, इसलिए होली के दौरान उनकी पूजा-अर्चना करने पर बिगड़े सारे संबंध बन जाएंगे।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)





