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Sat, Dec 20, 2025

सच्चे दोस्त से भी बनानी चाहिए इतनी दूरी, जानें क्या कहती है चाणक्य नीति

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
आचार्य चाणक्य ने अर्थशास्त्र, कूटनीति, चाणक्य नीति सहित अन्य कई ग्रंथों की रचना की है। जिसमें राजनीति, युद्ध कला, कानून व्यवस्था, नैतिकता, व्यवहार, नीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र के सिद्धांतों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है।
सच्चे दोस्त से भी बनानी चाहिए इतनी दूरी, जानें क्या कहती है चाणक्य नीति

कौटिल्य और विष्णु का गुप्त के नाम से प्रसिद्ध आचार्य चाणक्य प्राचीन भारत के महान अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, शिक्षक और दार्शनिक थे। जिनका जन्म लगभग 375 ईशा पूर्व माना गया है। पढ़ाई के दौरान उन्होंने युद्ध कला, राजनीति, अर्थशास्त्र और धर्मशास्त्र का भी ज्ञान लिया। जिसमें वह निपुण भी थे। हर कोई उनसे सलाह लेता था। एक बार नंद वंश के राजा ने उनका अपमान किया था, तब उन्होंने यह प्रतिज्ञा ली थी कि वह इस वंश को समाप्त कर देंगे। इसके बाद उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया। उनकी सलाह पर चलकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना हुई, जहां सभी लोग खुशहाल जीवन जीने लगे।

जीवन काल के दौरान आचार्य चाणक्य ने अर्थशास्त्र, कूटनीति, चाणक्य नीति सहित अन्य कई ग्रंथों की रचना की है। जिसमें राजनीति, युद्ध कला, कानून व्यवस्था, नैतिकता, व्यवहार, नीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र के सिद्धांतों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है।

चाणक्य नीति (Chanakya Niti)

चाणक्य नीति में दो श्लोकों के बारे में बताया गया है, जो इस तरह है-

1… परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।

वर्जयेत्तादृशं मित्रं विष्कुम्भं पयोमुखम्।।

2… न विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्।

कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत्।।

पहले श्लोक का अर्थ

पहले श्लोक के अनुसार, यदि कोई आपका सबसे अच्छा मित्र होने का दावा करता है, लेकिन पीठ पीछे आपकी बुराई करता है आपको आगे बढ़ने से रोकता है, तो ऐसे मित्र आपके लिए विश्व के समान होते हैं। यह असल में आपके मित्र नहीं, बल्कि आपके शत्रु होते हैं, क्योंकि सच्चा मित्र वह होता है, जो आपको हर परिस्थिति में गलत और सही के बारे में बताएं। आपका हर सुख-दुख में साथ दे। वह आपके दुख की घड़ी में आप साथ रहे, जो विपत्ति के समय आपका साथ नहीं छोड़ता, वही आपका हितैषी है।

दूसरे श्लोक का अर्थ

वहीं, चाणक्य नीति के दूसरे श्लोक के मुताबिक, कभी भी किसी भी मित्र पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए और अपनी गुप्त बातें उन्हें नहीं बतानी चाहिए, क्योंकि समय बड़ा बलवान होता है। यह कब बदल जाए कोई नहीं जानता। ऐसे में आपकी दोस्ती कब दुश्मनी में बदले, यह भी कहा नहीं जा सकता। इसलिए अपने किसी भी राज को अपने तक ही रखें। अन्यथा, यह रहस्य आपके लिए आगे चलकर नुकसानदायक हो सकते हैं।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)