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Sat, Dec 6, 2025

चैत्र नवरात्रि 2025: मां शारदा के दरबार में भक्तों की भीड़, दो दिनों में पहुंचे 2 लाख श्रद्धालु!

Written by:Sanjucta Pandit
चैत्र नवरात्रि 2025: मां शारदा के दरबार में भक्तों की भीड़, दो दिनों में पहुंचे 2 लाख श्रद्धालु!

देशभर में चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) की धुम देखने को मिल रही है। इस दौरान 9 दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। हर दिन मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। अष्टमी और नवमी के दिन श्रद्धालुओं की संख्या में काफी ज्यादा बढ़ोतरी होती है। किसी भी शहर में लगातार बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है। व्यवस्थाओं का भी खास ख्याल रखा जा रहा है। साफ सफाई को लेकर भी तरह-तरह के नियम बनाए गए हैं।

इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के मैहर में स्थित मां शारदा के दर्शन के लिए भी भक्तों का तांता लगा हुआ है। पिछले दो दिनों में करीब 2 लाख से अधिक श्रद्धालु मंदिर माता के दर्शन करने पहुंच चुके हैं।

पुलिस बल तैनात

प्रशासन ने भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर के गर्भगृह के खुलने का समय बदल दिया। जिसके तहत सुबह 4:00 बजे से रात 12:00 तक मंदिर खुला रहता है। ऐसे में दर्शनार्थियों को किसी प्रकार की कोई तकलीफ ना हो, इसका भी खास ख्याल रखा जाता है। भगदड़ की स्थिति उत्पन्न ना हो, इसलिए जगह-जगह पुलिस बल भी तैनात किए गए हैं। जाम की स्थिति से बचने के लिए रूट को भी डायवर्ट किया जा रहा है, ताकि लोग आसानी से अपने गंतव्य तक पहुंच सके। हर साल यहां पर नवरात्रि के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। जिसे लेकर जिला प्रशासन और पुलिस सुरक्षा के कड़े इंतजाम भी करते हैं। पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार चप्पे-चप्पे पर कड़ी निगरानी की जा रही है।

मान्यता

ऐसी मान्यता है कि जो लोग देवी शारदा की पूजा मन से करते हैं, उन पर देवी मां अपनी कृपा सदैव बनाए रखती हैं। साथ ही वह अपने भक्तों को बुद्धि और ज्ञान के क्षेत्र में सफलता प्रदान करती है। कहा जाता है कि जो भक्त एक बार इस दरबार में माता के आगे अपना माथा टेक लेता है, उन्हें कभी निराशा हाथ नहीं लगती है। इसलिए सालों भर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब शक्ति स्वरूपा मां सती ने यज्ञ कुंड में कूद कर आत्मदाह कर लिया था, तब भगवान शिव उनके शव को लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे थे। इस दौरान माता के शरीर का जो भी अंग जहां-जहां धरती पर गिरा, वहां उनका पवित्र स्थान शक्तिपीठ बन गया। उनमें से एक मैहर का मंदिर भी शामिल है और इस स्थान का नाम मैहर इसलिए पड़ा क्योंकि यहां पर मां सती का हार गिरा था।