आष्टा। मनुष्य जिंदगी भर मेहनत करके खूब धन-दौलत, सोना-चांदी, हीरे जवाहरात इकट्ठा करता है, लेकिन जब उसका अंत समय आता है तो कुछ भी काम नहीं आता है। अंत समय में मनुष्य के द्वारा किए गए सत्कर्म एवं सच्चे मन से लिया गया हरि नाम का सुमिरन ही उसके काम आता है। मानव जन्म बार-बार नहीं मिलता, कई योनियों में भटकने के बाद मानव जन्म की प्राप्ति होती है। इसलिए इस जन्म को प्रभु की आराधना में लगाओगे तो भव तर जाएगा। उक्त प्रवचन स्थानीय अलीपुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन भागवताचार्य पं. नरेन्द्र नागर ने दिए। पं. श्री नागर ने कहा कि गुरु बड़े ही भाग्य से मिलते हैं, इसलिए न तो गुरु की निंदा करनी चाहिए और न ही गुरू आज्ञा की अवहेलना करनी चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है की यदि ईश्वर को प्राप्त करना है तो गुरु की शरण में जाना पड़ेगा। बिना गुरु के न तो ज्ञान प्राप्त होता है और न ही प्रभु की भक्ति, यदि गुरु की कृपा हो जाए तो संसार की सभी चीजें सुलभता से प्राप्त हो जाती है। श्री नागर ने आगे कहा कि जब-जब धरती पर पाप का बढ़ता है, तब-तब प्रभु किसी न किसी रूप में अवतार लेकर पापों का अंत करते है। जब मथुरा में कंस का अत्याचार हद से ज्यादा बढ़ने लगा तब भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लेकर उसका अंत किया था। सच्चे मन से की गई अरदास हरि अवश्य सुनते हैं।कथा के पांचवे दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया, ‘‘आनंद उमंग भयो जय हो नंदलाल की’’ की जयघोष से संपूर्ण वातावरण गुंजायमान हो रहा था। पांडाल में मौजूद श्रद्धालुजनों ने पुष्प वर्षा एवं नृत्य कर अपनी प्रसन्नता को व्यक्त किया। इस अवसर पर श्रीराम मानस मंडल के घनश्याम जांगड़ा, सर्वेश पण्डिया, राजीव मालवीय, राकेश नायक, अनूप जैन, नन्नूमल जैन, पवन पहलवान, भविष्य नामदेव, सीबी परमार, जयप्रकाश नायक, दीपक परमार, मुकेश राठौर, एलकार मेवाड़ा, राजकुमार घनघोर, रवि पण्डिया, भूरू मुकाती, मनीष डोंगरे, बनवारीलाल, विक्रमसिंह ठाकुर, राजेन्द्र जैन, महेन्द्र शर्मा, दिनेश माथुर, शानू पंडिया, महेन्द्र गहलोत, नकुल महेश्वरी, अखिलेश पंडिया, अभिषेक नामदेव सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद थे।