सिंगरौली: जिले की जीवनरेखा मानी जाने वाली काचन नदी कोयले के काले पानी से प्रदूषित हो रही है। आरोप है कि नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) के गोरबी ब्लॉक बी और रिलायंस अमलोरी खदानों से निकलने वाला कोयला-युक्त पानी सीधे नदी में बहाया जा रहा है। यह स्थिति छठ पूजा से ठीक पहले और भी गंभीर हो गई है, क्योंकि लगभग 30 गांवों के लोग और श्रद्धालु इसी दूषित पानी में धार्मिक अनुष्ठान करने को मजबूर हैं।
यह समस्या तब और उजागर हुई जब एक स्थानीय युवक ने वीडियो जारी कर वह स्थान दिखाया, जहां कोयले का काला पानी नदी में मिल रहा है। वीडियो के मुताबिक, स्टॉप डैम से महज 200-300 मीटर की दूरी पर यह प्रदूषण फैलाया जा रहा है। युवक ने वीडियो में स्थानीय विधायकों और जिला कलेक्टर से छठ पर्व को देखते हुए तत्काल इस पर रोक लगाने की मांग की है।
छठ पूजा पर बीमारियों का संकट
काचन नदी इस क्षेत्र के लिए धार्मिक आस्था का भी केंद्र है। विशेषकर छठ जैसे त्योहारों पर हजारों लोग इसमें स्नान और पूजा करते हैं। लेकिन अब नदी में बहते कोयले के पानी ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ा दी हैं।
लोगों का कहना है कि यह समस्या पिछले कुछ समय से बनी हुई है, लेकिन प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इस प्रदूषण के कारण न केवल इंसानों बल्कि जलीय जीवों पर भी खतरा मंडरा रहा है।
प्रशासनिक अनदेखी और शिकायतें
स्थानीय जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि इस मामले में कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। नगर पालिका निगम के पार्षद रामगोपाल पाल ने बताया कि उन्होंने कलेक्टर से लेकर नगर निगम तक गुहार लगाई, लेकिन नतीजा सिफर रहा।
“कलेक्टर को एक हफ्ते पहले ज्ञापन देकर मामले की जानकारी दी गई थी, पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। काला पानी लगातार नदी में मिल रहा है। नगर निगम सिंगरौली में भी आवेदन दिया था, लेकिन वहां से भी कोई सुनवाई नहीं हुई।” — रामगोपाल पाल, पार्षद
प्रशासन की इस निष्क्रियता के कारण लाखों लोगों का स्वास्थ्य दांव पर है। छठ पर्व नजदीक है और लोगों के पास इस प्रदूषित पानी का इस्तेमाल करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं दिख रहा है।
सिंगरौली से राघवेंद्र सिंह की रिपोर्ट





