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Fri, Dec 19, 2025

क्रिकेट में उम्र धोखाधड़ी पर सख्त हुआ BCCI, खिलाड़ियों की जांच के लिए उठाया ये कदम

Written by:Neha Sharma
Published:
भारतीय क्रिकेट में उम्र को लेकर धोखाधड़ी की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, खासकर जूनियर स्तर पर। इसे गंभीरता से लेते हुए अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने इस पर सख्ती बरतने का फैसला किया है।
क्रिकेट में उम्र धोखाधड़ी पर सख्त हुआ BCCI, खिलाड़ियों की जांच के लिए उठाया ये कदम

भारतीय क्रिकेट में उम्र को लेकर धोखाधड़ी की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, खासकर जूनियर स्तर पर। इसे गंभीरता से लेते हुए अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने इस पर सख्ती बरतने का फैसला किया है। बीसीसीआई ने अब खिलाड़ियों की उम्र और अन्य जानकारियों की सत्यता की जांच के लिए एक पेशेवर बाहरी एजेंसी को नियुक्त करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी की गई है, जिसमें अनुभवी कंपनियों को बोली लगाने के लिए आमंत्रित किया गया है। एजेंसी की नियुक्ति अगस्त के अंत तक हो सकती है।

क्रिकेट में उम्र धोखाधड़ी पर सख्त हुआ BCCI

फिलहाल बीसीसीआई टू-टीयर एज वेरिफिकेशन सिस्टम का उपयोग करता है। इसमें पहले दस्तावेज और जन्म प्रमाणपत्र की जांच होती है, फिर TW3 यानी टैनर व्हाइटहाउस-3 हड्डी परीक्षण होता है। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से अंडर-16 लड़कों और अंडर-15 लड़कियों के लिए अपनाई जाती है। लेकिन अब इस जांच प्रक्रिया को और मजबूत करने के लिए इसे विशेषज्ञ एजेंसी को सौंपा जाएगा। इसके साथ ही आधार, पासपोर्ट, वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों को भी प्रमाण के रूप में ध्यानपूर्वक देखा जाएगा।

खिलाड़ियों की जांच के लिए उठाया बड़ा कदम

बीसीसीआई की इस सख्ती के पीछे हालिया मामलों की एक लंबी फेहरिस्त है। 2015 में दिल्ली के 22 खिलाड़ियों को एज फ्रॉड के कारण बैन किया गया था, जिनमें नीतीश राणा भी शामिल थे। वहीं, 2018 अंडर-19 वर्ल्ड कप में फाइनल में शतक जड़ने वाले मनजोत कालरा को उम्र की धोखाधड़ी के चलते दो साल के लिए एज-ग्रुप क्रिकेट और एक साल के लिए रणजी ट्रॉफी से बैन किया गया था। राजस्थान रॉयल्स के वैभव सूर्यवंशी की उम्र को लेकर भी सवाल उठ चुके हैं।

बीसीसीआई ने एजेंसी चयन के लिए कुछ खास मानदंड तय किए हैं। एजेंसी के पास कम से कम तीन साल का अनुभव होना चाहिए, जिसमें उसने किसी कॉर्पोरेट, शिक्षा बोर्ड या भर्ती प्रक्रिया में बैकग्राउंड वेरिफिकेशन सेवाएं दी हों। इसके अलावा, देशभर में नेटवर्क होना चाहिए और ग्रामीण इलाकों में फील्ड विजिट कर जांच करने की क्षमता भी होनी चाहिए। बीसीसीआई का मानना है कि इस कदम से उम्र संबंधी धोखाधड़ी पर लगाम लगेगी और खेल में पारदर्शिता आएगी।