MP Breaking News
Fri, Dec 19, 2025

क्रिकेट में अब नहीं चलेगी उम्र में गड़बड़ी, BCCI का यह नियम करेगा हर फर्जीवाड़े का खुलासा

Written by:Rishabh Namdev
Published:
एज फ्रॉड यानी उम्र में धोखाधड़ी की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए BCCI ने बड़ा कदम उठाया है। नए नियम के तहत अब खिलाड़ियों को दूसरा बोन टेस्ट कराने की इजाजत दी जाएगी, जिससे उनकी असली उम्र का दोबारा मूल्यांकन हो सकेगा।
क्रिकेट में अब नहीं चलेगी उम्र में गड़बड़ी, BCCI का यह नियम करेगा हर फर्जीवाड़े का खुलासा

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने एज फ्रॉड पर शिकंजा कसने के लिए अपने एज वेरिफिकेशन प्रोग्राम (AVP) में अहम बदलाव किए हैं। दरअसल देश में कई युवा क्रिकेटर फर्जी दस्तावेजों के जरिए उम्र छिपाकर अंडर-16 और अंडर-19 टूर्नामेंट्स में खेलते हैं, जिससे ईमानदार खिलाड़ियों को नुकसान होता है। वहीं अब BCCI ने इस खेल को खत्म करने की ठान ली है। नया नियम खिलाड़ियों को एक बार नहीं, बल्कि दो बार बोन टेस्ट कराने की सुविधा देता है, जिससे संदेह की कोई गुंजाइश न रहे।

दरअसल अब तक BCCI अंडर-14 से अंडर-16 ग्रुप के खिलाड़ियों की हड्डियों की उम्र (बोन एज) का टेस्ट कराकर उनकी खेल के लिए पात्रता तय करता रहा है। यह टेस्ट एक्स-रे के जरिए होता है। मौजूदा सिस्टम के अनुसार, यदि किसी खिलाड़ी की बोन एज 14.8 आती है, तो उसे 1 साल जोड़कर 15.8 माना जाता है और उसी के आधार पर उसे अगले सीजन में खेलने की अनुमति मिलती है।

नियमों में क्या हुआ बदलाव?

लेकिन अब बदलाव हुआ है, जिसके चलते अगर कोई खिलाड़ी अपने बर्थ सर्टिफिकेट के अनुसार 16 साल से कम उम्र का है, और उसका बोन टेस्ट उसे अयोग्य साबित करता है, तो उसे दूसरा बोन टेस्ट करवाने का मौका मिलेगा। यदि इस बार उसकी उम्र 16 से कम आती है, तो उसे अगले सीजन में खेलने दिया जाएगा। इससे ये सुनिश्चित होगा कि कोई भी खिलाड़ी बिना वजह टूर्नामेंट से बाहर ना हो और फर्जीवाड़ा भी पकड़ा जाए।

लड़कियों के लिए भी लागू होगा यह नया नियम

दरअसल महिला क्रिकेट के बढ़ते दायरे को देखते हुए BCCI ने लड़कियों के लिए भी इसी तरह की प्रक्रिया लागू करने का फैसला किया है। 12 से 15 साल के एज ग्रुप की लड़कियों पर भी अब यह नियम लागू होगा। इससे महिला क्रिकेट में भी एज फ्रॉड पर लगाम लगेगी और सही उम्र की खिलाड़ी ही टूर्नामेंट्स में हिस्सा ले सकेंगी। BCCI की हाल ही में हुई बैठक में यह तय किया गया कि ‘बोन एज’ टेस्ट को अब एकमात्र मानक नहीं माना जाएगा। चूंकि यह टेस्ट भी 100% सटीक नहीं होता, इसलिए खिलाड़ियों को दूसरा मौका देना जरूरी है। यह निर्णय न सिर्फ खिलाड़ियों के भविष्य को सुरक्षित करेगा, बल्कि क्रिकेट में भरोसे और पारदर्शिता को भी बढ़ावा देगा।

क्यों जरूरी था यह कदम?

दरअसल एज फ्रॉड भारतीय क्रिकेट का एक पुराना और गंभीर मुद्दा रहा है। कई बड़े घरेलू टूर्नामेंट्स में ऐसे खिलाड़ी देखे गए हैं जो उम्र से कहीं ज्यादा दिखते हैं, लेकिन फर्जी प्रमाणपत्रों के बल पर खेलते हैं। इससे सच्ची मेहनत करने वाले युवाओं को मौके नहीं मिलते और क्रिकेट का स्तर भी प्रभावित होता है। हाल ही में वैभव सूर्यवंशी की उम्र को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हुए थे।