Chess World Cup Final : इतिहास रचने से चूके 18 साल के प्रागनानंदा, मैग्नस कार्लसन ने जीता खिताब

Chess World Cup Final : फीडे वर्ल्ड कप का फाइनल आज अजरबेजान के बाकू में भारतीय ग्रैंडमास्टर आर. प्रागनानंदा और विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन के बीच खेला गया जिसमें भारत के रमेशबाबू प्रगनाननंदा को हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के साथ ही प्रगनाननंदा के विश्व चैंपियन बनने का सपना भी टूट गया। उन्हें 5 बार के वर्ल्ड चैंपियन मैग्नस कार्लसन ने फाइनल के टाईब्रेकर में 1.5-0.5 से हराया।

बता दें कि टाईब्रेकर का पहला रैपिड गेम नॉर्वे के खिलाड़ी ने 47 मूव के बाद जीता था। इसके साथ ही उनके लिए वापसी बेहद मुश्किल हो गई थी। दूसरा गेम ड्रॉ रहा और कार्लसन चैंपियन बन गए। इससे पहले, दोनों ने क्लासिकल राउंड के दोनों गेम ड्रॉ खेले थे। अमेरिका के फैबियानो कारुआना तीसरे और अजरबैजान के निजात अबासोव चौथे स्थान पर रहे।

पहली बार चैंपियन बने कार्लसन

गौरतलब है कि मैग्नस कार्लसन FIDE वर्ल्ड कप में पहली बार चैंपियन बने हैं। इससे पहले, भारत के विश्नाथन आनंद और लेवोन एरोनियन ने दो-दो खिताब जीते हैं। वहीं प्रगनानंदा अगर यह मुकाबला जीत जाते तो 21 साल बाद कोई भारतीय यह टाइटल जीतता। इससे पहले विश्वनाथन आनंद ने 2002 में इस चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी। तब प्रगनानंदा पैदा भी नहीं हुए थे।


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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