इस समय भारत और इंग्लैंड के बीच पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ खेली जा रही है। अब तक कुल दो मुकाबले खेले जा चुके हैं। पहला मैच इंग्लैंड ने जीता था जबकि दूसरा मैच भारतीय टीम ने अपने नाम किया। भारतीय टीम को इस समय सबसे ज़्यादा कमी एक ऑलराउंडर की महसूस हो रही है। इंग्लैंड के पास कप्तान बेन स्टोक्स बेहतरीन ऑलराउंडर के रूप में उभर रहे हैं। ज़रूरत के समय बेन स्टोक्स विकेट भी लेते हैं और बल्लेबाज़ी भी करते हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि बेन स्टोक्स से भी मज़बूत खिलाड़ी भारतीय टीम के पास मौजूद है, लेकिन उसे टेस्ट में मौका क्यों नहीं दिया जाता? दरअसल, यह नाम हार्दिक पांड्या का है।
हार्दिक पांड्या हमेशा से ही अपनी तेज़ और आक्रामक बल्लेबाज़ी के लिए जाने जाते हैं। टी20 हो या वनडे, हार्दिक पांड्या को सबसे पहले याद किया जाता है क्योंकि वह बल्लेबाज़ी के साथ-साथ गेंदबाज़ी में भी कमाल का प्रदर्शन करते हैं। लेकिन आखिर क्या वजह है कि हार्दिक पांड्या को टेस्ट क्रिकेट में मौका नहीं दिया जाता?
जानिए क्या है इसके पीछे का कारण?
हार्दिक पांड्या का टेस्ट क्रिकेट ना खेलना दर्शकों को खटकता है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी वजह हार्दिक की चोट है। हार्दिक पांड्या अपने करियर में ज़्यादातर समय चोटों से परेशान रहे हैं। ऐसे में टेस्ट क्रिकेट में पांच दिन के खेल को लगातार निभाना हार्दिक पांड्या के लिए मुश्किल हो जाता है। छोटे फॉर्मेट में, जिसमें टी20 और वनडे शामिल हैं, हार्दिक पांड्या शानदार खेल दिखाते हैं और टीम में बने रहते हैं, लेकिन टेस्ट में उन्हें बाहर बैठना पड़ता है। बीसीसीआई ने यह साफ किया है कि वह टेस्ट क्रिकेट में उन खिलाड़ियों को देखना चाहता है जो मैदान पर पूरे पांच दिन खेल सकें और लगातार मैच खेल सकें। बता दें कि हार्दिक पांड्या ने आखिरी बार भारत के लिए 2018 में टेस्ट मैच खेला था।
हार्दिक ने खुद बताई वजह?
हालांकि टेस्ट में नहीं खेलने को लेकर हार्दिक पांड्या ने खुद एक बार बड़ी बात कही थी। दरअसल, हार्दिक पांड्या ने 2020 में क्रिकबज़ को दिए एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया था कि वह अपनी पीठ की इंजरी से जूझ रहे हैं और वह टेस्ट क्रिकेट खेलकर इसे और ज़्यादा जोखिम में नहीं डाल सकते। उनका कहना था, “मैं एक ब्रेक-अप सीमर के रूप में खुद को देखता हूं। जब से पीठ की सर्जरी हुई है, मुझे नहीं पता कि अब टेस्ट क्रिकेट खेलना मेरे लिए कितनी बड़ी चुनौती होगी। अगर मैं केवल टेस्ट खिलाड़ी होता और मुझे व्हाइट बॉल क्रिकेट में खेलने का मौका नहीं मिलता, तो मैं अभी जाकर टेस्ट में अपनी पीठ को जोखिम में डाल सकता हूं।” अगर हार्दिक पांड्या के टेस्ट रिकॉर्ड की बात की जाए, तो उन्होंने भारत के लिए कुल 11 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनकी 18 पारियों में उन्होंने 532 रन बनाए, जबकि गेंदबाज़ी करते हुए 17 विकेट भी चटकाए हैं।





