भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का दूसरा टेस्ट मैच 6 दिसंबर से एडिलेड के मैदान पर खेला जाएगा। दरअसल यह मुकाबला डे-नाइट टेस्ट मैच होगा। इसके चलते यह पिंक बॉल से खेला जाएगा। वहीं कई लोगों के मन में अब यह सवाल उठ रहा है कि पिंक बॉल और रेड बॉल में क्या अंतर होता है? चलिए आज इस खबर में हम जानते हैं इन दोनों के बीच का अंतर है।
दरअसल भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ इस सीरीज में पांच टेस्ट मैच खेलने वाली है। पहले मुकाबले में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 295 रनों से करारी मात दी थी। वही अब एडिलेड में डे-नाइट टेस्ट मैच में भी भारतीय टीम से एक बड़ी जीत की उम्मीद लगाई जा रही है। भारतीय समयानुसार यह मैच सुबह 9:30 बजे शुरू होगा।
जानिए पिंक बॉल और रेड बॉल के बीच का अंतर
दरअसल रेड बॉल के मुकाबले पिंक बॉल पर एक स्पेशल कोटिंग की जाती है। दरअसल यह Polyurethane होती है। जिसके चलते यह गेंद लंबे समय तक चमकदार बनी रहती है। चमकदार होने के कारण इसे ज्यादा स्विंग मिलती है और ज्यादा स्विंग मिलने के कारण गेंदबाजों को मदद मिलती है। जानकारी के मुताबिक पिंक बॉल को लगभग 40 ओवर तक स्विंग मिलती है। हालांकि यह स्विंग कभी-कभी 50 से 55 ओवर तक भी मिल सकती है। इसके साथ ही पिंक बॉल में रिवर्स स्विंग भी ज्यादा मिलती है। इसके साथ ही इन दोनों गेंदों में धागों का अंतर होता है। पिंक बॉल को सफेद धागे से सिला जाता है। जबकि रेड बॉल को काले धागे से सिला जाता है।
किसे मिलेगा ज्यादा फायदा?
हालांकि गेंदबाजों के लिए पिंक बॉल मददगार साबित हो सकती है। लेकिन बल्लेबाजों को इस गेंद से खेलने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दरअसल पिंक बॉल दिखाई देने में दिक्कत करती है। जिसके चलते बल्लेबाजों को गेंद की लाइन और लेंथ को जज करना आसान नहीं होता है। इसे लेकर ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज एलेक्स कैरी ने एक बयान दिया था। दरअसल उनका कहना था कि पिंक बॉल से खेलना ज्यादा मुश्किल है। इस बॉल को अंत तक देखना जरूरी होता है। इसके साथ उनका कहना है कि पिंक बॉल से विकेट कीपिंग करना भी मुश्किल होता है।