महेंद्र सिंह धोनी का नाम आते ही दिमाग में एक शांत चेहरा, पैनी नजर और रणनीतिक सोच वाला कप्तान नजर आता है। दरअसल धोनी ने भारतीय क्रिकेट को न सिर्फ ट्रॉफियां दिलाईं, बल्कि एक ऐसा कल्चर भी दिया जहां यंग टैलेंट को भरोसे के साथ आगे बढ़ने का मौका मिला। धोनी ने कभी कैमरा लाइट में चमकने की कोशिश नहीं की, लेकिन उनकी लीडरशिप खुद ब खुद चमक गई।
आज भी धोनी की बात होती है तो लोगों को 2011 का क्रिकेट वर्ल्डकप सबसे पहले याद आता है। हालांकि एमएस धोनी ने कई बड़ी ट्रॉफी टीम को दिलाई है। इतना ही नहीं उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स को बी 5 आईपीएल ख़िताब जिताए हैं।
धोनी की लीडरशिप क्वालिटी नंबर-1
दरअसल धोनी के शांत स्वभाव की मिसालें हर जगह मिलती है। चाहे 2007 का वर्ल्ड कप फाइनल हो या 2016 का टी20 वर्ल्ड कप का आखिरी ओवर माही का माइंड हमेशा क्लियर रहता था। बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी बॉल रनआउट वाला किस्सा याद है? उन्होंने गलव्स उतारे, क्रीज से पीछे खड़े होकर रनआउट किया और सबको चौंका दिया। जब हर कोई घबराया हुआ था, तब धोनी शांत रहकर गेम को अपने पक्ष में खींच लेते थे। यही क्वालिटी एक लीडर को भीड़ से अलग बनाती है।
धोनी से लीडरशिप सीख नंबर-2
वहीं असली लीडर वो होता है जो टीम को जीत दिलाकर भी पीछे खड़ा रहता है। 2011 वर्ल्ड कप जीतने के बाद जब पूरा देश जश्न में डूबा था, तब धोनी ने ट्रॉफी सबसे पहले सचिन तेंदुलकर को दी। वो हर जीत को टीम की मेहनत मानते थे। यही वजह है कि उनके साथ खेलने वाला हर खिलाड़ी आज भी उन्हें अपना सबसे भरोसेमंद कप्तान मानता है।
धोनी की लीडरशिप सीख नंबर-3
इतना ही नहीं धोनी ने हमेशा टीम की जरूरत को खुद से ऊपर रखा। कई बार जब फॉर्म में थे तब भी उन्होंने बैटिंग ऑर्डर नीचे रखा ताकि बाकी खिलाड़ी मौके का फायदा उठा सकें। दरअसल उन्होंने कभी खुद के ईगो को टीम पर हावी नहीं होने दिया। रैना, जडेजा, रोहित या हार्दिक जैसे खिलाड़ियों को सही समय पर प्लेटफॉर्म दिया, जिससे वो चमक सके। लीडरशिप का असली मतलब यही है।
धोनी की सोच लीडरशिप सीख नंबर-4
दरअसल हर खिलाड़ी को धोनी ने अपने अंदाज़ में खेलने की छूट दी, लेकिन वो जानते थे कि आज़ादी के साथ ज़िम्मेदारी भी जरूरी है। जब मैदान पर सन्नाटा होता था, तब माही की सोच सबसे तेज दौड़ रही होती थी। एमएस धोनी की प्लानिंग साइलेंट होती थी, लेकिन उसका असर शोर मचाता था। यही वजह है कि उनकी कप्तानी में युवा खिलाड़ी खुलकर खेलते थे और खुद को साबित करते थे।





