महेंद्र सिंह धोनी को मैदान पर अपने शांत स्वभाव और कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य बनाए रखने के लिए ‘कैप्टन कूल’ का टैग मिला था। लेकिन अब इस टैग को कानूनी रूप से अपने नाम करने की उनकी कोशिश मुश्किलों में पड़ गई है। दरअसल धोनी ने जून 2023 में इस ट्रेडमार्क के लिए आवेदन किया था, जिसे जून 2025 में कोलकाता ट्रेडमार्क रजिस्ट्री ने स्वीकार कर लिया। लेकिन जैसे ही यह नाम ट्रेडमार्क जर्नल में पब्लिश हुआ, कानूनन 120 दिन के भीतर आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई, और उसी दौरान यह आपत्ति आई है।
दरअसल ‘एनालिसिस अटॉर्नीज एट लॉ’ नाम की लॉ फर्म का कहना है कि ‘कैप्टन कूल’ कोई यूनिक या एक्सक्लूसिव टाइटल नहीं है। उन्होंने कहा कि यह टैग कई इंटरनेशनल खिलाड़ियों के साथ भी इस्तेमाल किया जाता रहा है और इसे सिर्फ धोनी से जोड़ना गलत होगा।
जानिए फर्म ने क्यों उठाई आपत्ति?
दरअसल इसे लेकर फर्म का तर्क है कि ट्रेडमार्क एक्ट 1999 के तहत यह शब्द रजिस्टर्ड करने योग्य नहीं है क्योंकि यह पहले से पब्लिक डोमेन में मौजूद है और जनरल शब्दों की तरह इस्तेमाल होता रहा है। वहीं इसके अलावा, उन्होंने यह भी दावा किया कि धोनी की ओर से कोई ठोस दस्तावेज या कानूनी मान्यता पेश नहीं की गई है, जिससे साबित हो सके कि ‘कैप्टन कूल’ टाइटल सिर्फ उनके नाम से जुड़ा हो। ऐसे में पॉपुलैरिटी के आधार पर ट्रेडमार्क का अधिकार देना कानून के लिहाज से कमजोर साबित हो सकता है।
एमएस धोनी का क्रिकेट करियर
दरअसल एमएस धोनी के करियर को देखें तो ‘कैप्टन कूल’ का टैग केवल एक नाम नहीं बल्कि उनकी पहचान बन चुका है। बता दें कि कप्तान के रूप में धोनी ने भारत को तीन आईसीसी खिताब दिलाए जिनमें 2007 में टी20 वर्ल्ड कप, 2011 में वनडे वर्ल्ड कप और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी शामिल है। ऐसे में वे मैदान पर सबसे कठिन परिस्थितियों में भी बिना घबराए सही फैसले लेने के लिए जाने जाते रहे हैं। चाहे आखिरी ओवर में खुद बैटिंग करना हो या गेंदबाजों को बगैर भाव बदले गाइड करना धोनी की शांत प्रवृत्ति उन्हें बाकी खिलाड़ियों से अलग बनाती है। यही वजह है कि क्रिकेट फैंस और दिग्गजों ने उन्हें ‘कैप्टन कूल’ कहा और यह नाम धीरे-धीरे उनकी ब्रांड वैल्यू का हिस्सा बन गया।





