इस समय भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जा रही है। टेस्ट सीरीज का चौथा मुकाबला मैनचेस्टर के ग्राउंड पर खेला जा रहा है। इस मुकाबले में इंग्लैंड बेहद मजबूत स्थिति में है, हालांकि भारत की पहली पारी भी बेहद शानदार रही। इस पारी में सबसे ज्यादा सुर्खियां ऋषभ पंत ने बटोरीं। पहले चोटिल हो जाने के चलते ऋषभ पंत को स्ट्रेचर पर बाहर ले जाया गया, लेकिन अगले दिन ऋषभ पंत लंगड़ाते हुए बल्लेबाजी करने आए, जिसके चलते सोशल मीडिया पर उनकी जमकर तारीफ हुई।
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी भारतीय बल्लेबाज ने चोटिल हो जाने के बावजूद मैदान पर कदम रखा हो और बल्लेबाजी की हो। आज हम आपको कुछ ऐसे क्रिकेटर्स के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने दर्द और खून से लथपथ होने के बावजूद भी मैदान नहीं छोड़ा और मैच पूरा खेला।
अनिल कुंबले भी कर चुके हैं यह काम
2002 के एंटीगुआ टेस्ट को कोई नहीं भूल सकता, जब वेस्टइंडीज के खिलाफ भारतीय खिलाड़ी अनिल कुंबले ने अपने सिर में पट्टी बांधकर गेंदबाजी की थी। यह मैच आज भी यादगार मैचों में से एक है। अनिल कुंबले ने एक ऐसी मिसाल पेश की थी जिसे हर खिलाड़ी इंस्पिरेशन मानता है। कुंबले ने उस मैच में ब्रायन लारा को एलबीडब्ल्यू आउट किया था और मैच ड्रॉ करवाने में भी अहम भूमिका निभाई थी। कुंबले के सिर से खून निकल रहा था, लेकिन उन्होंने सिर पर पट्टी बांधकर भारत को इस मैच में बनाए रखा था।
रोहित शर्मा का नाम भी शामिल
2022 की वनडे सीरीज को भी कोई नहीं भूल सकता, जब भारत को बांग्लादेश से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस दौरान भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने अंगूठा टूटने के बाद भी नवें नंबर पर आकर बल्लेबाजी की थी। हालांकि वह इस हार को रोक नहीं पाए थे, लेकिन यह मैच एक मिसाल के रूप में लिया जाता है। भारतीय कप्तान दर्द में थे, लेकिन उन्होंने टीम को मुश्किल स्थिति से निकालने का सोचा।
इस लिस्ट में सचिन तेंदुलकर का भी नाम
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर में ऐसे कई मैच खेले। उन्होंने कई बार चोट के बावजूद भी मैदान पर टिके रहने का फैसला किया। जब सचिन पाकिस्तान के खिलाफ अपने करियर की शुरुआत कर रहे थे, तो पहली पारी में वकार यूनुस की गेंद पर उन्हें चोट लग गई। नाक से खून बहने लगा, लेकिन सचिन ने कहा कि मैं यह मैच खेलूंगा। फिर अगले 24 सालों तक सचिन ने क्रिकेट में खूब धमाल मचाया।
युवराज सिंह ने किया कमाल
इस लिस्ट में युवराज सिंह का नाम भी आता है। 2011 के वनडे वर्ल्ड कप को कोई नहीं भूल सकता। कैंसर जैसी बीमारी के बावजूद भी उन्होंने क्रिकेट में वापसी की। 2011 के विश्व कप को जीतने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई और टीम को वर्ल्ड चैंपियन भी बनाया। युवराज सिंह ने इस टूर्नामेंट में इतना शानदार प्रदर्शन किया था कि उन्हें मैन ऑफ द सीरीज के लिए भी चुना गया।





