इंग्लैंड के खिलाफ रोहित और रविंद्र जड़ेजा की जोड़ी ने बनाया रिकॉर्ड, टूटा 39 साल पुराना रिकॉर्ड

कप्तान रोहित शर्मा और रविंद्र जड़ेजा की शानदार पारी ने न सिर्फ पारी को लड़खड़ाने से बचाया साथ ही एक नया रिकॉर्ड बनाने में भी कामयाब हुई है।

Shashank Baranwal
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Ind vs Eng: भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरा टेस्ट मुकाबला राजकोट के सौराष्ट्र क्रिकेट स्टेडियम में खेला जा रहा है। जहां भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया था। जिसमें पहले दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने 86 ओवर में 5 विकेट गंवाकर 386 रन बनाए। हालांकि, भारत की शुरूआत खराब हुई थी और 33 रनों पर ही 3 विकेट गंवा दिए थे। लेकिन कप्तान रोहित शर्मा और रविंद्र जड़ेजा की शानदार पारी ने न सिर्फ पारी को लड़खड़ाने से बचाया साथ ही एक नया रिकॉर्ड बनाने में भी कामयाब हुई है।

इन खिलाडियों का तोड़ा रिकॉर्ड

इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मुकाबले में रोहित शर्मा और रविंद्र जड़ेजा ने पारी को लड़खड़ाने से बचाया। इस दौरान दोनों खिलाड़ियों ने 204 रनों की साझेदारी निभाई। वहीं इस पारी के बदौलत दोनों खिलाड़ियों ने चौथे विकेट के लिए इंग्लैंड के खिलाफ तीसरी सबसे बड़ी साझेदारी निभाई। साथ ही 39 साल पहले का रिकॉर्ड तोड़ने में कामयाब रहे। गौरतलब है कि साल 1985 में इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट मुकाबले में मोहम्मद अजहरूद्दीन और मोहिंदर अमरनाथ ने भारत के लिए तीसरी सबसे बड़ी साझेदारी निभाई थी। इस दौरान दोनों ने 190 रनों की साझेदारी की थी।

इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में चौथे विकेट के लिए सबसे ज्यादा रनों की साझेदारी

  • 2002- हेडिंग्ले टेस्ट मैच- सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली- 249 रन
  • 1952- हेडिंग्ले टेस्ट मैच- विजय मांजरेकर और विजय हजारे- 222 रन
  • 2024- राजकोट टेस्ट मैच- रोहित शर्मा और रवींद्र जडेजा- 204 रन
  • 1985- चेन्नई टेस्ट मैच- मोहम्मद अजहरुद्दीन और मोहिंदर अमरनाथ- 190 रन
  • 1990- ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट मैच- मोहम्मद अजहरुद्दीन और संजय मांजरेकर- 189 रन

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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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