सारा तेंदुलकर ने अपनी डीप फेक फोटोज की जानकारी देते हुए इंस्टाग्राम पर पोस्ट की स्टोरी, X पर फर्जी अकाउंट को लेकर भी कही यह बात

Shashank Baranwal
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Sara Tendulkar: डीप फेक का मामला इन दिनों खूब चर्चा में बना हुआ है। कई सेलीब्रेटीज डीपफेक का शिकार हुई हैं। वहीं क्रिकेट के भगवाव सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर भी हाल ही में डीप फेक का शिकार हुई थी। जहां उनकी एक तस्वीर को डीप फेक कर के भारत के सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल के साथ जोड़कर दिखाया गया था। जिसको लेकर सारा तेंदुलकर ने बुधवार को इंस्टाग्राम पर स्टोरी शेयर करते हुए चुप्पी तोड़ी।

इंस्टाग्राम स्टोरी पर सारा तेंदुलकर ने ये लिखा

सारा तेंदुलकर ने इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखते हुए कहा कि  “हमारे सुख, दुख और दैनिक गतिविधियों को साझा करने के लिए सोशल मीडिया हम सभी के लिए एक अद्भुत स्थान है। हालांकि तकनीक का इस्तेमाल कर दुरुपयोग देखना चिंताजनक है। यह सच्चाई से दूर ले जाता है। मेरी कुछ डीपफेक तस्वीरें हैं जो हकीकत से कोसों दूर हैं।” साथ ही सारा तेंदुलकर ने लिखा कि “X (पूर्व ट्विटर) पर सारा तेंदुलकर नाम का अकाउंट खुद को पैरोडी घोषित करता है लेकिन जाहिर तौर पर मेरे नाम पर लोगों को गुमराह करता है। मेरा X पर कोई अकाउंट नहीं हैं। मुझे उम्मीद है कि X इन अकाउंट पर गौर करेगा और उन्हें निलंबित करेगा।”

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अर्जुन तेंदुलकर की जगह शुभमन गिल को दिखाया गया

सारा तेंदुलकर की एक तस्वीर जिसमें सारा अपने भाई अर्जुन तेंदुलकर के साथ थी। उसे डीप फेक कर के शुभमन गिल के साथ जोड़ कर दिखाया गया था। जिसको लेकर सारा ने चुप्पी तोड़ा। आपको बता दें इसके पहले रश्मिका मंदाना के साथ साथ कई सेलिब्रटीज की फोटों और वीडियों के डीपफेक मामले सामने आ चुके हैं।

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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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