BAN VS SL: बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में श्रीलंका ने दर्ज की दूसरी सबसे बड़ी जीत, तोड़ा 22 साल पुराना अपना रिकॉर्ड

श्रीलंका के गेंदबाजों ने कमाल की गेंदबाजी की। इस दौरान कसुन राजिथा ने सबसे ज्यादा 5 विकेट चटकाने में सफल हुए। वहीं विश्वा फर्नांडो ने 3 विकेट गिराने में कामयाब हुए।

Shashank Baranwal
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Sri Lanka

BAN VS SL: श्रीलंका और बांग्लादेश के बीच दो टेस्ट मैचों की सीरीज खेली जा रही है। जिसका पहला मुकाबला सिलहट इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेला गया है। इस दौरान श्रीलंकाई टीम ने बांग्लादेशी टीम को उनकी ही सरजमीं पर 328 रनों से पटखनी देकर सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली है। इसी के साथ श्रीलंका की टीम ने टेस्ट क्रिकेट के 22 साल पुराने अपने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।

182 रनों पर सिमटी बांग्लादेशी टीम

श्रीलंका की तरफ से टेस्ट मैच की दूसरी पारी में धनंजय डी सिल्वा और कमिंदु मेंडिस ने शतकीय पारी खेलकर 511 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया। जहां धनंजय ने 179 गेंदों पर 2 छक्के और 9 चौके की मदद से 108 रनों की पारी खेली। वहीं मेंडिस ने 237 गेंदों में 6 छक्के और 16 चौके की मदद से 164 रनों की शतकीय पारी खेली। वहीं 512 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी बांग्लादेशी टीम 182 रनों के स्कोर पर ही सिमट गई।

कसुन राजिथा ने चटकाए सबसे ज्यादा विकेट

श्रीलंका के गेंदबाजों ने भी कमाल का प्रदर्शन दिखाया। इस दौरान कसुन राजिथा ने सबसे ज्यादा 5 विकेट चटकाने में सफल हुए। वहीं विश्वा फर्नांडो ने 3 विकेट गिराने में कामयाब हुए। जबकि लहिरू कुमारा ने भी 2 विकेट हासिल किया। आपको बता दें बांग्लादेश की ओर से सबसे ज्यादा रन मोमिल हक ने बनाया। इस दौरान मोमिल ने 148 गेंदों में 1 छक्का और 12 चौके कीम मदद से 87 रनों की नाबाद अर्धशतकीय पारी खेली।

22 साल पुराना तोड़ा अपना रिकॉर्ड

बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट मैच को जीतकर श्रीलंका की टीम ने 22 साल पुराना अपना रिकॉर्ड तोड़ा है। दरअसल, श्रीलंका की यह दूसरी रनों के मामले में दूसरी सबसे बड़ी जीत है। आपको बता दें साल 2002 में जिम्बाब्वे के खिलाफ श्रीलंका ने 315 रनों से जीत दर्ज की थी। वहीं रनों के मामले में देखा जाए तो श्रीलंका की टीम ने साल 2009 में चटगांव में बांग्लादेश के खिलाफ सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। इस दौरान श्रीलंकाई टीम ने 465 रनों जीतकर टेस्ट मैच पर कब्जा किया था।

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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