टेस्ट चैंपियनशिप 2025 का फाइनल साउथ अफ्रीका के लिए किसी सपने से कम नहीं था। लॉर्ड्स जैसे ऐतिहासिक मैदान पर ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को हराकर पहली बार ट्रॉफी उठाना अपने आप में बड़ी उपलब्धि रही। लेकिन इस जीत को खास बना दिया टेम्बा बावुमा के उस संदेश ने, जो उन्होंने देश के नाम दिया। उन्होंने कहा “हमें अब भेदभाव और बंटवारे से ऊपर उठना होगा, एक होकर आगे बढ़ना होगा।”
दरअसल टेम्बा बावुमा साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत कप्तान हैं जिन्होंने देश को आईसीसी ट्रॉफी जिताई है। उनकी कप्तानी में टीम ने टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराकर इतिहास रच दिया।
जानिए मैच का हाल
जानकारी दे दें कि पहली पारी में साउथ अफ्रीका सिर्फ 138 रन पर ऑलआउट हो गई थी, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने 212 रन बनाए थे। लेकिन बावुमा ने यहां से मैच का रुख पलट दिया। गेंदबाजों को शानदार ढंग से घुमाते हुए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में संभलने नहीं दिया। इसके बाद जब उन्हें बल्लेबाजी का मौका मिला, तब वे चोट के बावजूद डटे रहे। दर्द सहते हुए उन्होंने 66 रनों की पारी खेली और एडेन मार्करम के साथ मिलकर टीम को जीत दिलाई। ये सिर्फ एक जीत नहीं थी, ये उस लंबे संघर्ष की जीत थी जिसे बावुमा और उनके जैसे कई खिलाड़ियों ने झेला है। उन्होंने मैदान पर सिर्फ स्कोरबोर्ड नहीं बदला, उन्होंने एक सोच को बदलने की कोशिश की है।
सिर्फ खेल नहीं, समाज को जोड़ने की भी कोशिश
दरअसल बावुमा ने जीत के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हम एक टीम के तौर पर यहां आए। लोगों ने हमारी राह पर शक किया, कहा गया कि हमने कमजोर टीमों को हराया है, लेकिन हमने खुद को साबित किया।” उन्होंने आगे कहा, “एक देश के तौर पर हमें एक होना होगा। कई बार हम बंट जाते हैं, लेकिन ये जीत हमें एकजुट होने का मौका देती है। घर पर हमारे लोग जश्न मना रहे होंगे, हम भी उसी जोश में सेलिब्रेट कर रहे हैं।” बावुमा का यह बयान सिर्फ कप्तानी का हिस्सा नहीं, एक लीडरशिप की असली पहचान है। वो जानते हैं कि क्रिकेट साउथ अफ्रीका में सिर्फ खेल नहीं, समाज को जोड़ने का जरिया है। उनका यह संदेश खासकर उस देश के लिए अहम है जहां नस्लभेद का इतिहास रहा है।





