भारतीय क्रिकेट में सौरव गांगुली, एमएस धोनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे कप्तानों ने टीम इंडिया को टेस्ट क्रिकेट में मजबूत बनाया है। उन्होंने विदेशों में जीत, घरेलू दबदबा और नंबर-1 रैंकिंग दिलाने जैसे बड़े काम किए। लेकिन इन सभी महान कप्तानों को एक न एक बार टेस्ट में हार का सामना करना ही पड़ा। हालांकि, कुछ कम चर्चित लेकिन खास कप्तान ऐसे भी हुए हैं जिनकी कप्तानी में भारत कभी टेस्ट मैच नहीं हारा है।
अजिंक्य रहाणे ने ऑस्ट्रेलिया में भी दिलाई ऐतिहासिक जीत
दरअसल अजिंक्य रहाणे भारतीय टेस्ट इतिहास के सबसे शांत और रणनीतिक कप्तानों में से एक माने जाते हैं। 2020-21 में विराट कोहली की गैरमौजूदगी में रहाणे ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम की कमान संभाली और 0-1 से पिछड़ने के बावजूद टीम इंडिया को 2-1 से सीरीज जिताई। वहीं मेलबर्न टेस्ट में रहाणे के शतक ने टीम की वापसी की नींव रखी और फिर ब्रिसबेन में ऐतिहासिक जीत के साथ भारत ने लगातार दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीत ली।

जानकारी दे दें कि रहाणे ने अब तक कुल 6 टेस्ट में भारत की कप्तानी की है, जिनमें से 4 जीते और 2 ड्रॉ रहे। उन्होंने 2017 में धर्मशाला में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ, 2018 में अफगानिस्तान और 2021 में न्यूजीलैंड के खिलाफ भी टीम की अगुआई की थी। खास बात ये रही कि उनके कप्तानी करियर में टीम इंडिया एक भी टेस्ट नहीं हारी।
रवि शास्त्री और श्रीकांत भी इस लिस्ट में शामिल
दरअसल 1988 में जब रवि शास्त्री को चेन्नई टेस्ट में कप्तानी मिली तो उन्होंने उसे 255 रनों के बड़े अंतर से जीता। यह उनके करियर का इकलौता टेस्ट बतौर कप्तान था, लेकिन इसमें वह पूरी तरह सफल रहे।
वहीं इसी तरह, क्रिस श्रीकांत को 1989 के पाकिस्तान दौरे पर कप्तानी मिली। उस दौरे की खास बात थी कि वहीं सचिन तेंदुलकर ने अपना डेब्यू किया था। चारों टेस्ट ड्रॉ पर खत्म हुए और श्रीकांत भी एक भी हार के बिना कप्तान के तौर पर अपने सफर से बाहर हो गए।
हेमू अधिकारी को शायद कम लोग जानते हैं
दरअसल 1959 में हेमू अधिकारी ने दिल्ली टेस्ट में वेस्टइंडीज के खिलाफ कप्तानी की थी। वह मैच ड्रॉ रहा। खास बात ये है कि उस सीरीज में भारत ने 5 टेस्ट खेले और 4 कप्तानों को आज़माया गया। अधिकारी को आखिरी टेस्ट में कप्तान बनाया गया और वह बतौर कप्तान कभी टेस्ट में नहीं हारे। उसी मैच में उन्होंने 63 और 40 रनों की पारी खेली थी और गेंद से भी 3 विकेट झटके थे। वह उनका आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच साबित हुआ।