पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग हमेशा से ही अपने बेबाक बयानों के चलते चर्चा में रहते हैं। अक्सर वे नए खिलाड़ियों को लेकर ऐसे बयान देते रहते हैं, जो कहीं न कहीं लोगों के बीच नई बहस छेड़ देते हैं। अब हाल ही में वीरेंद्र सहवाग ने आईपीएल 2025 के बीच एक और बड़ा बयान दे दिया और विदेशी खिलाड़ियों पर निशाना साधा है। वीरेंद्र सहवाग का कहना है कि ये विदेशी खिलाड़ी भारत जीत के मकसद से नहीं आते हैं, बल्कि उनका ध्यान तो पार्टियों पर होता है। वीरेंद्र सहवाग के मुताबिक, विदेशी खिलाड़ी आईपीएल में छुट्टियां मनाने के हिसाब से आते हैं। ग्लेन मैक्सवेल, लियम लिविंगस्टोन और डेविड मिलर जैसे खिलाड़ियों का उदाहरण वीरेंद्र सहवाग ने दिया है।
दरअसल, वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि मैक्सवेल और लिविंगस्टोन आईपीएल 2025 में बुरी तरह से फ्लॉप हुए हैं। यही कारण है कि अब उन दोनों ही खिलाड़ियों की टीमों ने भी उन्हें प्लेइंग 11 से बाहर कर दिया है। वीरेंद्र सहवाग के इस नए बयान ने अब क्रिकेट में खलबली मचा दी है।

विदेशी खिलाड़ियों को सुनाई खरी खोटी
जानकारी के मुताबिक, क्रिकबज पर बात करते हुए वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि मेरे ख्याल से अब इन खिलाड़ियों की भूख मिट चुकी है। मैक्सवेल और लिविंगस्टोन के रनों की भूख खत्म हो गई है। ये भारत छुट्टियां मनाने के लिए आते हैं और यहां पर छुट्टियां मना कर ही चले जाते हैं। इन्हें अपनी टीमों से भी लगाव नहीं है कि इन्हें मैच जीतना है और अपना योगदान देना है। ट्रॉफी नहीं जीती तो अपनी तरफ से योगदान देना है—वह इन खिलाड़ियों में नहीं दिख रहा है। मैं ऐसे कई विदेशी खिलाड़ियों के साथ खेला हूं, उनमें से एक या दो ही ऐसे लगे जिनमें यह भावना थी कि हमें जीतना है। लेकिन मैक्सवेल और लिविंगस्टोन में मुझे वह नजर नहीं आता। ये लोग सिर्फ बातें करते हैं और बातें करके ही चले जाते हैं।
इन खिलाड़ियों की वीरेंद्र सहवाग ने की तारीफ
दरअसल, इस दौरान वीरेंद्र सहवाग ने बड़ा बयान दिया और उन्होंने कई खिलाड़ियों का उदाहरण भी दिया। वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि डेविड वॉर्नर, ग्लेन मैकग्रा और एबी डीविलियर्स जैसे खिलाड़ी थे जो जीतने की इच्छा रखते थे और उनमें जीतने की लगन भी थी। वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि जब मैं दिल्ली से खेलता था तब उसमें डेविड वॉर्नर हुआ करते थे, एबी डीविलियर्स हुआ करते थे और ग्लेन मैकग्रा हुआ करते थे। मैकग्रा मुझे हमेशा कहते थे कि मुझे मौका क्यों नहीं दे रहे हो, मुझे खिलाओ, मैं जिताऊंगा। लेकिन मेरा कॉम्बिनेशन ऐसा बैठता था कि या तो डर्क नैनस को खिलाओ या फिर मैकग्रा को।
इन तीनों खिलाड़ियों के अलावा ऐसे कई खिलाड़ी आए, लेकिन वे सिर्फ आकर खेलकर चले जाते हैं। पता तब चलता है जब आप फाइनल या प्लेऑफ का मैच हार जाते हैं और सबसे पूछते हैं कि पार्टी कहां है। किसी को अफसोस नहीं होता कि हम हार गए। मुझे यह बहुत चुभता था। मैं अपनी टीम के मालिक से कहता था कि ये लोग आते हैं, पैसे लेते हैं और एंजॉय करके चले जाते हैं। इनमें खेल भावना नहीं है कि हमें चैंपियन बनना है।