हाई कोर्ट के इस आदेश पर शासन की और से पैरवी कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट से DME को लेकर राहत मांगी और वीडियो कांफ्रेंसिंग से हाज़िर होकर जानकारी दी जानें की अनुमति मांगी, पर कोर्ट ने इंकार करते हुए अब गुरुवार को दस्तावेजों के साथ हाज़िर होंने के आदेश दिए है।
MP high court की खबरें
हाई कोर्ट ने दलील सुनने के बाद मध्य प्रदेश शासन को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या इंडियन नर्सिंग काउन्सिल के नियम मप्र शासन पर लागू नहीं होते, क्या शासन को नियमों का उल्लंघन करने की छूट प्राप्त है ? इसका कोई जवाब शासन की तरफ से पेश वकील नहीं दे पाए।
याचिका में बताया गया कि बाढ़ में ग्वालियर के अलावा शिवपुरी, श्योपुर, गुना और अशोक नगर का हिस्सा ज्यादा प्रभावित हुआ।
एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया ने तर्क दिए कि दंड प्रक्रिया संहिता में मजिस्ट्रेट को यह अधिकार है कि वह किसी भी मामले की जांच या तो स्वयं कर सकते हैं अथवा पुलिस या किसी भी एजेंसी के माध्यम से जांच करा सकते हैं। दिग्विजय सिंह के विरुद्ध कोई हिंसा का मामला दर्ज नहीं हुआ है जिसमें पुलिस की जांच आवश्यक हो उक्त मामले में मजिस्ट्रेट ने जांच करना उचित समझा था इसलिए मजिस्ट्रेट द्वारा मामले की पूरी जांच की गई और जांच के उपरांत ही उनके विरुद्ध मामला दर्ज किया गया
अशोकनगर एवं गुना में पीडब्लूडी में एसडीओ एवं कार्यपालन यंत्री के पद पर रहे नरेंद्र सिंह रघुवंशी अधीक्षण यंत्री के पद से रिटायर होने के 6 साल बाद अपने ही विभाग के प्रमुख अभियंता पर पदोन्नत किए गए हैं।
MP High Court Decision : हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सजा मिलने के बाद भी रिटायर्ड अधिकारी की गेच्युटी व अवकाश की राशि रोकना गलत है, सजायाफ्ता कर्मचारी को भी ग्रेच्युटी और अर्जित अवकाश का अधिकार होगा।
रिपोर्ट सुनने के बाद हाई कोर्ट ने इन नर्सिंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स की ट्रेनिंग पर भी सवाल खड़े किये, कोर्ट ने कहा कि नर्सिंग स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग वाले हॉस्पिटल से नोटराइज्ड एफिडेविट मांगा जाए, ट्रेनिंग लेने वाले स्टूडेंट जानकारी की मांगी जाए, मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी,
निजी कॉलेज के कुछ छात्रों ने परीक्षा पर लगी रोक के ग्वालियर हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन (SLP) दायर की थी, जिसमें सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा पर लगी को हटाने से इंकार कर दिया और ग्वालियर हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
याचिकाकर्ता द्वारा यह भी आपत्ति ली गई थी कि पूर्व में निलंबित की गई रजिस्ट्रार चंद्रकला दिवगैयाँ को पिछले 2 साल में कार्यवाही करके कोई भी रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं की गई है, इस पर भी कोर्ट ने सरकार से पूर्व रजिस्ट्रार पर की गई कार्यवाही की रिपोर्ट भी पेश करने को कहा।
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जजों के स्वीकृत पदों की संख्या 53 है, जिसमें से वर्तमान में चीफ जस्टिस को मिलाकर 30 जज कार्यरत हैं। आज हाई कोर्ट में 7 नए जजों को शपथ दिलवाई गई। शपथ ग्रहण समारोह में हाई कोर्ट जस्टिस भी शामिल हुए।