Rajyog 2023 : हाल ही में शुक्र गोचर करके सिंह राशि में प्रवेश किया है और अब 25 जुलाई को बुध भी सिंह राशि में प्रवेश करने जा रहे है,वही मंगल पहले से ही सिंह में विराजमान है, ऐसे में बुध और शुक्र मिलकर लक्ष्मी नारायण राजयोग बनेगा।
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यह राजयोग बेहद शुभ होने वाला है। मेष राशि की गोचर कुंडली में केंद्र त्रिकोण राजयोग बनने से इस राशि के जातकों को बहुत लाभ होगा।अचानक कहीं से पैसा मिलने के योग है।
विपरीत राजयोग का निर्माण जब किसी जातक की कुंडली में होता है, तो फिर उसी असीम समृद्ध अवसर आगे बढ़ने के मिलते हैं। ये विपरीत राजयोग तीन तरह के होते हैं- हर्ष राजयोग, विमल राजयोग और सरला राजयोग।
योग का निर्माण तब होता है, जब कुंडली में मंगल, चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में मेष, वृश्चिक, मकर राशि में विद्यमान हो। वैदिक ज्योतिष में मेष और वृश्चिक के स्वामी मंगल है और मकर राशि में उच्च के स्वामी हैं। ऐसे में रूचक योग का निर्माण होता है।
राजयोग का निर्माण तब होता है, जब छठे और 12वें भाव के स्वामी एक दूसरे से संबंध स्थापित करते हैं। ऐसा तब होता है जब छठे घर का स्वामी आठवें और बारहवें भाव के स्वामी के साथ संबंधित हो, वहीं तीसरे घर में छठे के स्वामी की अंतर्दशा के प्रभाव से इस राजयोग का निर्माण होता है।
Hans Rajyog 2023 : इस योग से सुख-समृद्धि संपत्ति सहित आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही धन संपत्ति प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। पहले घर में गुरु के रहने से भद्र योग का निर्माण होता है जबकि चौथे भाव में इस योग का निर्माण करने के साथ ही प्रभुत्व वाले पद की प्राप्ति होती है। वैवाहिक सुख मिलने के साथ ही धार्मिक पत्नी और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के योग बनते हैं। इतना ही नहीं जातक व्यवसाय में अच्छे परिणाम हासिल करता है।
1 जुलाई 2023 को सुबह 1:52 पर मंगल सिंह राशि में गोचर करेंगे। सिंह पर सूर्य का आधिपत्य है। वही 18 अगस्त तक मंगल सिंह राशि में विराजमान रहेंगे। इसके उपरांत कन्या राशि में गोचर करेंगे। सिंह राशि में रहने के साथ ही कई महत्वपूर्ण योग का निर्माण हो रहा है।
Astrology Kaahal Rajyog : बुधादित्य, परिजात सहित महा केदार योग का लाभ कई जातकों को मिलेगा। वहीं जुलाई में कर्क राशि में सूर्य के परिवर्तन के साथ ही मेष और तुला राशि को भाग्योदय, व्यापार में वृद्धि सहित प्रमोशन इंक्रीमेंट के आसार बन रहे हैं।
ग्रहों के राजकुमार बुध को विश्लेषणात्मक क्षमता, भाषण संचार, कौशल प्रबंधन, तकनीक, लेखन क्षमता लचीलापन, अच्छे स्वास्थ्य सहित कौशल प्रतिभा के धनी, चीजों से संबंधित ग्रह माना जाता है। प्रथम, चतुर्थ, सातवें और दसवें भाव में बुध कुंडली में अपनी खुद की राशि मिथुन और कन्या राशि में विराजमान होते हैं, तब राजयोग का निर्माण होता है।
कुंडली के दसवें घर को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। वही दसवें भाव में यदि ग्रहों की मजबूत स्थिति है तो जातक को करियर संबंधित लाभ मिलता है। इसके साथ ही उनके रोजगार पेशे में भी वृद्धि देखी जाती है।