यूजीसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण पहल की गई थी। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत हुई इस पहल में अब खासा रुझान देखने को मिल रहा है। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के तहत 4000 से अधिक आवेदन देखने को मिले हैं। वही 140 से अधिक उच्च शिक्षा संस्थान यूजीसी की इस योजना से जुड़ चुकी है। यूजीसी की इस पहल से उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों को महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा।
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यूजीसी द्वारा पीएचडी को लेकर नई तैयारी की गई है। पीएचडी में प्रवेश ऑफ कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर किया जाएगा। इसके साथ ही छात्रों के लिए नए शैक्षणिक सत्र में एक साथ दो विषयों में पीएचडी की राहत मिलेगी। नए नियम के आधार पर ही विश्वविद्यालय में पीएचडी में दाखिले लिए जाएंगे।
यूजीसी द्वारा नई तैयारी की जा रही है। इसके तहत छात्रों को महत्वपूर्ण लाभ दिया जाएगा। प्रस्ताव को तैयार कर गठित स्थायी समिति को भेजा गया है। समिति उस पर विचार करेगी और आयोग की सिफारिश करेगी।
नई शिक्षा नीति के तहत यूजीसी ने डीम्ड यूनिवर्सिटी के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। संशोधित दिशा-निर्देश में डीम्ड यूनिवर्सिटी की पात्रता मानदंड को और ज्यादा सरल किया गया है। जिसका लाभ विश्वविद्यालय सहित छात्रों को भी मिलेगा।
यूजीसी द्वारा बड़ी तैयारी की जा रही है। इसके तहत छात्रों को महत्वपूर्ण लाभ दिया जाएगा। इसके साथ ही प्रत्येक विश्वविद्यालय से 3 छात्रों के नाम प्रेषित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसकी घोषणा जुलाई महीने में की जाएगी छात्रों को इससे महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा।
यूजीसी द्वारा छात्रों को महत्वपूर्ण राहत दी गई है। इसके लिए नवीन पोर्टल इस्तेमाल किया गया है। साथ ही पीएचडी, प्रोफेसरों ऑफ प्रैक्टिस को नई सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है, जो उम्मीदवारों के लिए जानना बेहद आवश्यक है।
नई गाइडलाइन के तहत शोधार्थी की ओर से थीसिस जमा कर दी जाएगी। जिसमें 6 महीने के भीतर वायवा कराना अनिवार्य होगा। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार यह जिम्मेदारी संबंधित विश्वविद्यालय की होगी। पहले फाइनल वायवा 1 से 2 साल तक भी कराया जाता था।
इससे पूर्व पीएचडी के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा एक मसौदा अधिसूचना जारी की गई थी। इसके तहत इन पीएचडी प्रवेश योग्यता कार्यक्रम की अवधि और मूल्यांकन के लिए मानदंड पर प्रस्ताव तैयार किए गए। अब पीएचडी स्कॉलर के मार्गदर्शन पर भी स्पष्टीकरण जारी कर दिया गया है।
यूजीसी द्वारा नए पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर दी गई है। नए मसौदे के तहत छात्रों के लिए विषय को अनिवार्य किया गया है। इस मामले में यूजीसी प्रमुख का कहना है कि वर्तमान दस्तावेज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए यूजीसी की एक पहल है। जिससे पर्यावरण शिक्षा के लिए दिशानिर्देश और पाठ्यक्रम की रूपरेखा की जरूरत होगी। दस्तावेज से विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्रों को पर्यावरण से संबंधित जानकारी हासिल करनी होगी और इसके विश्लेषण के साथ ही छात्र पर्यावरण को लेकर प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता के साथ कार्य करेंगे।
यूजीसी द्वारा छात्रों के लिए बड़ी तैयारी की गई है। इसके तहत छात्र जनवरी सेमेस्टर 2023 के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का चुनाव कर सकेंगे। ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की सूची भी जारी कर दी गई है। छात्र SWAYAM पोर्टल पर जाकर इसकी जांच कर सकते हैं।