Apple की नई टेक्नोलॉजी, दिमाग से कंट्रोल होंगे iPhone और iPad, ALS मरीज़ों के लिए खास फोकस

Apple एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है, जिससे यूज़र्स अपने दिमाग के सिग्नल्स से iPhone और iPad कंट्रोल कर सकेंगे। Synchron नाम की स्टार्टअप के साथ मिलकर बनाई गई ये टेक्नोलॉजी ALS और स्पाइनल इंजरी वाले मरीज़ों को टारगेट करती है। अभी ये क्लिनिकल ट्रायल्स में है।

Apple हमेशा से अपनी डिवाइसेज़ को सबसे आगे रखने के लिए नई टेक्नोलॉजी लाता रहा है। अब कंपनी न्यूयॉर्क की स्टार्टअप Synchron के साथ मिलकर एक ऐसी टेक्नोलॉजी डेवलप कर रही है, जो दिमाग के सिग्नल्स से iPhone और iPad को कंट्रोल कर सकती है। ये ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) उन लोगों के लिए बनाया जा रहा है, जो ALS या स्पाइनल कॉर्ड इंजरी की वजह से हाथ या आवाज़ इस्तेमाल नहीं कर सकते।

इस टेक्नोलॉजी का नाम है Synchron Switch, जो ब्रेन में सेंसर इम्प्लांट करके न्यूरल सिग्नल्स को कमांड्स में बदलता है। ये अभी शुरुआती स्टेज में है, लेकिन इसका असर बड़ा हो सकता है। देश में Apple यूज़र्स के बीच ये खबर चर्चा में है, खासकर उन लोगों के लिए जो एक्सेसिबिलिटी फीचर्स को फॉलो करते हैं। लेकिन कुछ लोग इसे प्राइवेसी और सर्जरी के रिस्क्स की वजह से डरावना भी मान रहे हैं। अगर आप इस टेक्नोलॉजी, इसके यूज़, और लोगों की राय के बारे में जानना चाहते हैं, तो ये डिटेल्स आपके लिए हैं। आइए, इसे करीब से देखें।

न्यूरल कंट्रोल टेक्नोलॉजी

Apple की नई टेक्नोलॉजी Synchron Switch पर बेस्ड है, जो एक छोटा सेंसर डिवाइस है। इसे स्टेंटरोड कहते हैं, जिसे ब्रेन की ब्लड वेसल में सर्जरी से डाला जाता है। ये सेंसर न्यूरल सिग्नल्स को कैप्चर करता है, जैसे अगर आप “पैर हिलाने” की सोचते हैं, तो ये iPhone या iPad पर टैप रजिस्टर करता है। ये Apple के स्विच कंट्रोल फीचर के साथ काम करता है, जो पहले से एक्सेसिबिलिटी के लिए डिज़ाइन किया गया है। उदाहरण के तौर पर, ऑस्ट्रेलिया के रॉडनी गोरहम, जो ALS मरीज़ हैं, इस टेक्नोलॉजी से iPad पर सिंगल-वर्ड टेक्स्ट भेज पाते हैं।

Synchron को FDA से अप्रूवल मिल चुका है, और ये क्लिनिकल ट्रायल्स में है। Apple इस टेक्नोलॉजी को iOS और iPadOS में इंटीग्रेट करने पर काम कर रहा है। कंपनी ने AirPods में EEG सेंसर के लिए भी पेटेंट फाइल किया है, जो भविष्य में न्यूरल सिग्नल्स कैप्चर कर सकता है। इसका मकसद उन लोगों की मदद करना है, जो फिज़िकल लिमिटेशन्स की वजह से डिवाइस यूज़ नहीं कर पाते। भविष्य में इसे कोमा पेशेंट्स के लिए कम्युनिकेशन टूल के तौर पर भी देखा जा रहा है, लेकिन अभी ये सिर्फ़ बेसिक कमांड्स तक सीमित है।

सिक्योरिटी रिस्क का भी है खतरा!

टेक्नोलॉजी की सबसे बड़ी चुनौती है इसका धीमा नेविगेशन। अभी ये माउस या टचस्क्रीन जितना फास्ट नहीं है, और सिर्फ़ बेसिक कमांड्स (जैसे टैप, सिंगल-वर्ड टेक्स्ट) ही काम करते हैं। सर्जरी भी रिस्की और महँगी है, जो इसे आम यूज़र्स के लिए मुश्किल बनाती है। Apple की हालिया AirBorne बग चेतावनी ने भी यूज़र्स को सिक्योरिटी को लेकर और सतर्क कर दिया है। फिर भी, Apple का एक्सेसिबिलिटी पर फोकस, जैसे मास्क के साथ Face ID या Apple Intelligence, इस टेक्नोलॉजी को भरोसेमंद बनाता है। ये देखना मज़ेदार होगा कि ये टेक्नोलॉजी कितनी जल्दी आम ज़िंदगी का हिस्सा बनती है।


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Ronak Namdev

Ronak Namdev

मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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