इंटरनेट आज हर किसी की जरूरत है, लेकिन गांवों और पहाड़ी इलाकों में हाई-स्पीड कनेक्टिविटी अभी भी सपना है। सैटेलाइट इंटरनेट महंगा और जटिल है, लेकिन अब बैलून और ड्रोन इस समस्या का आसान हल ला रहे हैं। ये नई टेक्नोलॉजी कम खर्च में तेज इंटरनेट देती है।
कंपनियां जैसे गूगल और कुछ स्टार्टअप्स बैलून और ड्रोन के जरिए इंटरनेट बीम करने की तकनीक पर काम कर रही हैं। ये सिस्टम सैटेलाइट से सस्ता है और जल्दी सेटअप हो जाता है। अगर आप इंटरनेट की दुनिया में नई टेक्नोलॉजी के बारे में जानना चाहते हैं, तो ये जानकारी आपके लिए है।

आसमान से कनेक्टिविटी
बैलून इंटरनेट की टेक्नोलॉजी हाई-एल्टिट्यूड बैलून्स पर बेस्ड है, जो 20-30 किलोमीटर ऊंचाई पर तैरते हैं। ये बैलून सोलर पैनल से चलते हैं और सैटेलाइट जैसे सिग्नल बीम करते हैं। गूगल का प्रोजेक्ट लून इसका बड़ा उदाहरण है, जिसने अफ्रीका और एशिया के दूरदराज इलाकों में इंटरनेट पहुंचाया। एक बैलून 5000 वर्ग किलोमीटर तक कवर कर सकता है, जो 4G/5G स्पीड देता है। इनका सेटअप सैटेलाइट से 10 गुना सस्ता है और कुछ ही घंटों में लॉन्च हो जाता है। लेकिन चुनौती ये है कि बैलून को हवा में स्थिर रखना मुश्किल है, और मौसम की वजह से ये खराब हो सकते हैं। फिर भी, आपदा प्रभावित इलाकों या अस्थायी कनेक्टिविटी के लिए ये गेम-चेंजर है। भारत जैसे देश में, जहां 50% ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कमजोर है, ये तकनीक लाखों लोगों को जोड़ सकती है।
छोटे इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट
ड्रोन छोटे इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट देते हैं और आसानी से कहीं भी ले जाए जा सकते हैं। ये सोलर-पावर्ड या बैटरी से चलते हैं और 100-200 मीटर ऊंचाई पर उड़कर सिग्नल भेजते हैं। स्टार्टअप्स जैसे ड्रोनकास्ट और कुछ टेलीकॉम कंपनियां इस पर काम कर रही हैं। एक ड्रोन 10-50 किलोमीटर के दायरे में 5G स्पीड दे सकता है। आपदा के समय, जैसे बाढ़ या भूकंप, जब टावर खराब हो जाते हैं, ड्रोन तुरंत इंटरनेट दे सकते हैं। भारत में 2024 में कुछ ट्रायल्स हुए, जहां ड्रोन ने गांवों में 100 Mbps तक स्पीड दी। लेकिन ड्रोन की बैटरी लाइफ कम होती है, और इन्हें बार-बार रिचार्ज करना पड़ता है। फिर भी, छोटे इलाकों और अस्थायी जरूरतों के लिए ये शानदार हैं।