MP में प्राइवेट स्कूलों में चल रह मनमानी, फीस के बोझ तले परेशान अभिभावक

उमरिया के प्राइवेट स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे हैं। सेंट एलोयसियस 5000 तो सेंट जोसेफस 1600 रुपए कक्षा ट्रांसफर पर ले रहा है।

MP में शिक्षा विभाग ने भले ही फीस नियंत्रण के बड़े-बड़े नियम बना दिए हों, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। जिले के प्राइवेट स्कूल खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और विभाग चुप बना हुआ है। यह अभिभावकों के लिए लगातार फीस के बोझ तले दबते जा रहे हैं और बच्चों की पढ़ाई महंगी होती चली जा रही है।

राज्य सरकार ने फीस की जानकारी के लिए एक पोर्टल भी बनाया है, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है, जिस कारण अभिभावक उसमें दर्ज फीस देख नहीं पाते। ऐसे में स्कूलों का मनमाना रवैया जारी है। जब चाहते हैं फीस बढ़ा दी जाती है और पेरेंटस को मजबूरी में पैसे जमा करना ही पड़ता है।

उमरिया का मामला

मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के बिरसिंहपुर पाली में संचालित सेंट एलोयसियस और सेंट जोसेफस स्कूल में फीस वसूली को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। यहां कक्षा ट्रांसफर के नाम पर अलग-अलग रकम ली जा रही है। सेंट एलोयसियस में जहां 5000 लिए जा रहे हैं, तो वहीं सेंट जोसेफस में वही फीस केवल 1600 है। एक ही शहर में एक जैसी व्यवस्थाओं वाले स्कूलों की फीस में इतना बड़ा अंतर कैसे हो रहा है।

डीईओ से की शिकायत

इस मामले को लेकर अभिभावक विवेक सर्राफ ने जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) से शिकायत की है, लेकिन जांच का नतीजा जीरो निकला। डीईओ आर.एस. मरावी के अनुसार, फीस बढ़ाने और तय करने का अधिकार स्कूलों और उनकी समितियों के पास है। यानी शिक्षा विभाग के बनाए नियम इन पर लागू ही नहीं होते। अभिभावकों का कहना है कि जब एक ही स्तर के स्कूल अलग-अलग फीस ले रहे हैं, तो सरकारी पोर्टल पर आखिर क्या दर्ज किया गया है?

विवेक सर्राफ का कहना है कि शिक्षा नीति में बदलाव के बाद उम्मीद थी कि मनमानी रुकेगी, लेकिन हकीकत उलटी है। आज हालत यह है कि हर साल अलग-अलग नामों से फीस बढ़ा दी जाती है। गार्जियन मजबूर हैं क्योंकि बच्चों की पढ़ाई बीच में रोकना भी संभव नहीं है।

उमरिया, बृजेश श्रीवास्तव


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