MP Breaking News

Welcome

Sun, Dec 7, 2025

यूपी में AAP की ‘रोजगार दो, सामाजिक न्याय दो’ पदयात्रा! सांसद संजय सिंह करेंगे नेतृत्व, योगी सरकार पर लगाए ये आरोप

Written by:Shyam Dwivedi
आम आदमी पार्टी (AAP) ने 12 नवंबर से 24 नवंबर तक सरयू से प्रयागराज संगम तक 180 किलोमीटर की पदयात्रा का एलान किया है। इस पदयात्रा का नाम 'रोजगार दो, सामाजिक न्याय दो' रखा गया है। इस यात्रा का नेतृत्व राज्यसभा सांसद संजय सिंह करेंगे।
यूपी में AAP की ‘रोजगार दो, सामाजिक न्याय दो’ पदयात्रा! सांसद संजय सिंह करेंगे नेतृत्व, योगी सरकार पर लगाए ये आरोप

उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) की सियासत में अब आम आदमी पार्टी (AAP) की एंट्री होने जा रही है। पार्टी की नजर अब यूपी की ओर है। AAP ने 12 नवंबर से 24 नवंबर तक सरयू से प्रयागराज संगम तक 180 किलोमीटर की पदयात्रा का एलान किया है। इस पदयात्रा का नाम ‘रोजगार दो, सामाजिक न्याय दो’ रखा गया है। इस यात्रा का नेतृत्व राज्यसभा सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) करेंगे। उनका कहना है कि ये यात्रा राजनीतिक रस्म नहीं बल्कि जनता के अधिकारों की लड़ाई है। कहीं न कहीं अब AAP यूपी में अपना पैर पसारना चाहती है।

बता दें कि सांसद संजय सिंह आम आदमी पार्टी के सक्रिय नेता है। सड़क से लेकर संसद तक वे जनता के मुद्दों को रखकर बीजेपी सरकार पर सवालों की बौछार करते हैं। अब वे इस यात्रा के माध्यम से बीजेपी सरकार को घेरने का काम करेंगे। AAP सांसद का कहना है कि बीजेपी सरकार ने रोजगार के नाम पर बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन आज उत्तर प्रदेश बेरोजगारों की सबसे बड़ी राजधानी बन गया है।

बता दें कि AAP के लिए ये यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। यह यात्रा अयोध्या की सरयू से शुरू होकर प्रयागराज के संगम तक जाएगी। रास्ते में गांव, कस्बे, शहर, मोहल्ले- हर जगह जनता से संवाद होगा। पार्टी ने तय किया है कि यात्रा में युवाओं, किसानों, शिक्षकों, समाजसेवियों और हर वर्ग के लोग शामिल होंगे इस पदयात्रा का थीम सॉन्ग ‘मैं देश बचाने निकला हूं’ पहले ही जारी हो चुका है।

संजय सिंह ने बीजेपी लगाए आरोप

AAP सांसद संजय सिंह ने बीजेपी सरकार पर कई आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि आज उत्तर प्रदेश बेरोजगारों की सबसे बड़ी राजधानी बन गया है। सरकारी भर्तियां रुकी हैं, परीक्षाएं लटकी हैं, और पेपर लीक ने लाखों युवाओं का भविष्य छीन लिया है। किसान अपनी उपज का दाम पाने के लिए संघर्ष कर रहा है, गन्ना किसानों का भुगतान महीनों लटका रहता है, और छोटे उद्योग बंद होने से मजदूरों का चूल्हा ठंडा पड़ जाता है। सरकार के पास विज्ञापनों के लिए हजारों करोड़ हैं, लेकिन रोजगार और किसानों के लिए जवाब नहीं।