उत्तर प्रदेश की आगरा पुलिस ने एक बड़े धर्मांतरण सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान कुरैशी निकला है, जो खुद एक कन्वर्टेड मुस्लिम है। पुलिस ने इस मामले में छह राज्यों से कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। जांच में खुलासा हुआ है कि रहमान यूट्यूब चैनल और पॉडकास्ट के जरिए इस्लामी कट्टरपंथ का प्रचार कर रहा था और हिंदू प्रतीकों का अपमान करता था।
1990 में महेंद्र पाल से बना अब्दुल रहमान
धर्मांतरण का यह मास्टरमाइंड पहले महेंद्र पाल जादौन नाम से जाना जाता था। साल 1990 में पहले ईसाई बना और फिर कुछ साल बाद मुस्लिम धर्म कबूल कर अब्दुल रहमान बन गया। उसकी पत्नी और दोनों बेटों की पत्नियां भी पहले हिंदू थीं और बाद में मुस्लिम बनीं। यानी पूरा परिवार कन्वर्टेड है।
घर से मिली मौलाना कलीम सिद्दीकी की किताबें
पुलिस को रहमान के आगरा के मुस्तफाबाद स्थित घर से बड़ी संख्या में धर्मांतरण से जुड़ी किताबें मिली हैं, जो मौलाना कलीम सिद्दीकी द्वारा लिखी गई थीं। पुलिस के मुताबिक, रहमान इन्हें बांटकर धार्मिक प्रचार करता था।
6 राज्यों से 10 आरोपी गिरफ्तार
धर्मांतरण रैकेट की जांच के दौरान पुलिस ने गोवा से आयशा, जयपुर से मोहम्मद अली, कोलकाता से ओसामा, पश्चिम बंगाल से दो, उत्तराखंड से एक, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से भी दो-दो लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस के अनुसार, अब्दुल रहमान का भतीजा लंदन से फंडिंग को री-रूट करता था, जिससे इस रैकेट को आर्थिक मदद मिलती थी।
यूट्यूब से कट्टरपंथी प्रचार, लड़कियों को ट्रेनिंग
पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ है कि रहमान यूट्यूब चैनल और पॉडकास्ट के जरिए इस्लामी कट्टर विचारधारा फैलाता था। ओसामा नाम का आरोपी लड़कियों को ‘इस्लामी बहन’ बनाने की ट्रेनिंग देता था।
आयशा और मोहम्मद अली ने पूछताछ में माना कि वे रहमान को ‘चचा’ कहकर उसकी हर बात मानते थे।
दो बहनों के लापता होने से हुआ खुलासा
इस पूरे मामले की जांच मार्च 2025 में तब शुरू हुई, जब आगरा की दो बहनें लापता हो गईं। बाद में सामने आया कि उन्हें धर्मांतरण के लिए टारगेट किया गया था। उनमें से एक ने सोशल मीडिया पर हथियार के साथ फोटो पोस्ट की थी, जिससे पुलिस को संदेह हुआ।
विदेशी फंडिंग और इस्लामिक राष्ट्र की साजिश
आगरा के पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार के अनुसार, यह गिरोह सिर्फ धर्मांतरण ही नहीं बल्कि ‘भारत को इस्लामिक राष्ट्र’ बनाने की साजिश में भी शामिल था। गैंग को अमेरिका और कनाडा से फंडिंग मिल रही थी।
DGP राजीव कृष्ण ने बताया कि ये गिरोह ISIS जैसे मॉड्यूल पर काम करता था और युवाओं को पैसे, नौकरी और सामाजिक सुरक्षा का लालच देकर धर्मांतरण कराता था।





