उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य के प्राइमरी और उच्च प्राथमिक स्कूलों के मर्जर से जुड़े अपने पुराने फैसले में बड़ा संशोधन कर दिया है। इस संशोधन के चलते अब बड़ी संख्या में स्कूलों को आपस में मिलाया नहीं जा सकेगा। सरकार के इस फैसले को समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी “पीडीए पाठशाला” आंदोलन की जीत बताया है।
अखिलेश यादव का पोस्ट
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा,
“स्कूल मर्जर का फैसला वापस लेना ‘पीडीए पाठशाला’ आंदोलन की महाजीत है। शिक्षा का अधिकार अखंड होता है और रहेगा। यह भाजपा की नैतिक हार है।”
स्कूल मर्जर का फैसला वापस लेना, ‘पीडीए पाठशाला’ आंदोलन की महाजीत है।
शिक्षा का अधिकार अखंड होता है और रहेगा। शिक्षा विरोधी भाजपा की ये नैतिक हार है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 31, 2025
अखिलेश यादव ने योगी सरकार के स्कूल मर्जर के फैसले का लगातार विरोध किया था। उन्होंने ऐलान किया था कि जिन स्कूलों को बंद किया जाएगा, वहां समाजवादी पार्टी ‘पीडीए पाठशाला’ चलाएगी। सहारनपुर में इस पाठशाला की शुरुआत भी कर दी गई थी।
संसद परिसर में भाजपा पर निशाना
अखिलेश ने संसद परिसर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि
“भाजपा सरकार का प्राथमिक स्कूलों को बंद करने का फैसला पूरी तरह राजनीतिक है। सरकार ने उन्हीं इलाकों के स्कूल बंद किए जहां समाजवादी पार्टी को वोट मिलते थे। भाजपा गरीबों से शिक्षा का अधिकार छीन रही है।”
भेदभाव का आरोप
उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून कहता है कि बच्चों को उनके घर के पास स्कूल मिलना चाहिए। समाजवादी सरकार के समय लखनऊ में जो ‘संस्कृति स्कूल’ बना था, उसे भाजपा सरकार ने बंद कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार पढ़ाई के क्षेत्र में किए गए समाजवादी सुधारों को खत्म कर रही है।
अखिलेश यादव ने अर्थव्यवस्था, महंगाई और रोजगार के मुद्दों पर भी सरकार को घेरा। कहा,
“भाजपा सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। महंगाई चरम पर है, रोजगार नहीं है, सरकार नौकरियां नहीं दे रही।”
उन्होंने किसानों की समस्याओं का भी जिक्र करते हुए कहा कि किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई है। खाद के लिए लाइनें लगी हैं, लेकिन सरकार को चिंता नहीं। अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ लगाए जाने के मुद्दे पर भी अखिलेश ने भाजपा सरकार पर तंज कसा कि भाजपा सरकार पिछले 11 सालों से अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप से मित्रता बढ़ा रही थी। अब वही राष्ट्रपति भारत को व्यापार में झटका दे रहे हैं। यह कैसी दोस्ती है? इससे देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा।





