कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा बिहार में शुरू की गई वोट अधिकार यात्रा में समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की भागीदारी को लेकर सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। कांग्रेस ने पहले घोषणा की थी कि अखिलेश इस यात्रा में शामिल होंगे, लेकिन रविवार को अखिलेश ने स्पष्ट किया कि वे राहुल गांधी की व्यक्तिगत यात्रा में नहीं, बल्कि इंडिया गठबंधन की यात्रा में हिस्सा लेंगे। इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है, और इसके कई राजनैतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।
इस बयान पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन राहुल गांधी के साथ मजबूती से खड़ा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राहुल गांधी गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं, और इसमें कोई विवादास्पद बात नहीं है। राय ने बताया कि लेफ्ट से लेकर गठबंधन के सभी दल राहुल के साथ हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राहुल गांधी ने हाल ही में मखाना किसानों से पानी में उतरकर मुलाकात की, जो समाज के हर वर्ग की समस्याओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है।
पारदर्शिता और निष्पक्षता पर खड़े किए सवाल
अखिलेश यादव ने इस दौरान चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग गड़बड़ियों के मामले में जिला अधिकारियों (डीएम) के पीछे छिप रहा है, जबकि डीएम मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के पीछे। अखिलेश ने कहा कि यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि मतदाता सूची में नाम जोड़ने से लेकर वोट डलवाने और गिनती तक की जिम्मेदारी अब राजनीतिक दलों और कार्यकर्ताओं पर आ गई है। उनके इस बयान ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं।
एकता और रणनीति पर चर्चा तेज
अखिलेश के बयान और उनकी गठबंधन केंद्रित टिप्पणी ने बिहार और उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन की एकता और रणनीति पर चर्चा को तेज कर दिया है। जहां एक ओर राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा को इंडिया गठबंधन के व्यापक समर्थन के रूप में देखा जा रहा है, वहीं अखिलेश के बयान से गठबंधन के भीतर समन्वय और नेतृत्व की गतिशीलता पर सवाल उठ रहे हैं। यह घटनाक्रम आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन की रणनीति और एकजुटता को और महत्वपूर्ण बना देता है।





