उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री दयाशंकर सिंह सहित 15 लोगों के खिलाफ बलिया की सीजेएम कोर्ट ने धारा 144 के उल्लंघन के एक दस साल पुराने मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इस मामले में दो आरोपियों ने पहले ही जमानत हासिल कर ली थी। कोर्ट ने नगर कोतवाली पुलिस को वारंट का तामिला कराने और आरोपियों को पेश करने का आदेश दिया है। मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि उन्हें इस मुकदमे की कोई जानकारी नहीं थी।
यह मामला सितंबर 2015 का है, जब बलिया में नगरपालिका के टेंडर को लेकर विवाद छिड़ गया था। तत्कालीन समाजवादी पार्टी के मंत्री नारद राय और चेयरमैन साधना गुप्ता के प्रतिनिधि लक्ष्मण गुप्त के बीच तनाव बढ़ गया था। इस विवाद के चलते शहर में धरना-प्रदर्शन और बाजार बंद जैसी घटनाएं हुईं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी थी।
लोगों की आवाजाही में बाधा
9 सितंबर 2015 को तत्कालीन ओक्डेनगंज चौकी प्रभारी सत्येंद्र राय ने नगर कोतवाली में दयाशंकर सिंह (तब गैर-विधायक और भाजपा नेता), नागेंद्र पांडेय, संतोष सोनी, पप्पू पांडेय, धीरज गुप्त, सतीश अग्रवाल, दीपक कुमार, सर्वदमन जायसवाल, राजेश गुप्ता, बंटी वर्मा, रामजी गुप्ता, मनोज गुप्ता, ओमप्रकाश तुरहा सहित 17 नामजद और 100-150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। आरोप था कि इन लोगों ने मालगोदाम चौराहे पर सड़क जाम कर लोगों की आवाजाही में बाधा डाली थी।
शेष आरोपियों को कोर्ट में पेश करने का निर्देश
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शैलेश कुमार पांडेय ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान 15 आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया, क्योंकि वे कोर्ट में पेश नहीं हुए। नागेंद्र पांडेय सहित दो आरोपियों ने जुलाई 2016 में जमानत ले ली थी। इस मामले के बाद अब पुलिस को शेष आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया गया है।





