कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ सिख समुदाय की भावनाएं आहत करने के आरोप में अब मुकदमा चलेगा। सोमवार को वाराणसी की MP-MLA कोर्ट ने पूर्व ग्राम प्रधान नागेश्वर मिश्रा की ओर से दाखिल याचिका स्वीकार कर ली। इस याचिका में राहुल गांधी पर अमेरिका दौरे के दौरान भड़काऊ बयान देने का आरोप है। इससे पहले वाराणसी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने 28 नवंबर 2024 को यह याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद याचिकाकर्ता नागेश्वर मिश्रा ने MP-MLA कोर्ट का रुख किया, जहां जज यजुवेंद्र विक्रम सिंह की अदालत ने याचिका मंजूर कर ली। अब अगली सुनवाई की तारीख पर मामले की सुनवाई शुरू होगी।
क्या हैं आरोप?
पूर्व प्रधान नागेश्वर मिश्रा ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने अमेरिका में सिखों को लेकर भड़काऊ बयान दिया, जिससे करोड़ों सिखों की भावनाएं आहत हुई हैं। याचिका के मुताबिक, राहुल ने कहा था कि “भारत में सिखों को पगड़ी और कड़ा पहनने का अधिकार नहीं है। उन्हें गुरुद्वारे जाने की अनुमति नहीं है।” याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि राहुल के इस बयान का खालिस्तान समर्थक गुरुवंत सिंह पन्नू ने भी समर्थन किया है, जिससे देश में अस्थिरता फैलाने की आशंका है।
कोर्ट में पेश हुई दलीलें
पूर्व प्रधान की ओर से कोर्ट में अधिवक्ता विवेक शंकर तिवारी और अलख राय ने पक्ष रखा। वहीं अभियोजन की तरफ से एडीजीसी विनय कुमार सिंह ने दलीलें दीं। मामले में अब तक की कार्रवाई कोर्ट में पेश की गई।
राहुल गांधी ने क्या कहा था?
राहुल गांधी ने 10 सितंबर 2024 को अमेरिका में एक बयान में कहा था,
“भारत में सिख समुदाय को चिंता है कि क्या उन्हें पगड़ी पहनने की अनुमति दी जाएगी, क्या वे गुरुद्वारे जा सकेंगे? यह चिंता सिर्फ सिखों की नहीं, बल्कि हर धर्म के लोगों की है। BJP को यह समझ में नहीं आता कि भारत सबका है। RSS की सोच कुछ राज्यों, भाषाओं और धर्मों को कमतर मानती है।”
उन्होंने यह भी कहा था कि अभी आरक्षण खत्म करने का सही समय नहीं है। कांग्रेस ऐसा तभी सोचेगी जब सभी वर्गों को समान प्रतिनिधित्व मिल पाए। इससे पहले राहुल गांधी 15 जुलाई को लखनऊ की एक अदालत में भी पेश हुए थे। वहां उन्होंने भारतीय सेना पर की गई टिप्पणी को लेकर सरेंडर किया था और 5 मिनट बाद उन्हें जमानत मिल गई थी। इस मामले में वे पिछली 5 सुनवाई पर पेश नहीं हुए थे, जिसके बाद कोर्ट ने समन जारी किया था।





