उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश के सीमा क्षेत्र में बसा पवित्र स्थल चित्रकूट, जहाँ भगवान राम ने अपने वनवास काल में धर्म की मशाल जलाई थी, वहाँ इस बार दिवाली पर्व ने एक अद्भुत रूप धारण किया। मंदाकिनी नदी के तट पर 12 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया और दीपदान कर आत्मा को आलोकित किया। इस दिवाली उत्सव ने न केवल धार्मिक मान्यताओं को जीवंत किया, बल्कि आने वालों को साक्षात्कार कराया कि आस्था की शक्ति कितनी विशाल होती है।
1. दिवाली का पारंपरिक महत्त्व और चित्रकूट की भूमिका
दिवाली, जो अँधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। पर यहाँ, चित्रकूट के प्रदेश में यह पर्व सिर्फ उजाले का ही नहीं बल्कि आस्था-यात्रा, आत्म-श्रद्धा और धर्म-परंपरा का भी प्रतीक बन गया है। चित्रकूट उस भूमि का नाम है जहाँ भगवान राम ने अपनी सीता-जाड़ यात्रा के दौरान, वन के संकीर्ण पथ पर, धर्म व लोक को दोनों संभाला था। माना जाता है कि इसी स्थान पर माँ जानकी ने पहली बार दीप जलाए थे, इसलिए यहाँ दीपदान की परंपरा दशकों से जीवित है।
2. मंदाकिनी तट पर श्रद्धालुओं का हुजूम और मेले का इंतज़ाम
इस वर्ष, चित्रकूट में दिवाली के अवसर पर सबसे प्रभावशाली दृश्य मंदाकिनी नदी के तट पर सामने आया, जहाँ लगभग 12 लाख श्रद्धालुओं ने एकसाथ पवित्र स्नान किया और फिर दीपदान किया। जगह-जगह मंच प्रभा सजाई गई, जैसे कि रामघाट, भरतघाट, राघव प्रयाग, गुफाएँ, गोपनीय स्थान और कामदगिरि परिक्रमा मार्ग। ऐसा लग रहा था मानो आकाश के तार जमीन पर उतर आए हों, सैंकड़ों-हजारों दीए फैल गए थे। प्रशासन ने सुरक्षा, व्यवस्था, यातायात, भीड़ नियंत्रण जैसे पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया।
3. कामदगिरि परिक्रमा-दीपदान और
उत्सव स्थल का एक आकर्षक भाग रहा है कामदगिरि परिक्रमा मार्ग लगभग 5 किलोमीटर लम्बा, जहाँ श्रद्धालु चलते-चलते पथ-दीपों की रोशनी में मग्न हो गए। यह मार्ग सिर्फ आध्यात्मिक यात्रा नहीं, बल्कि स्थानीय लोकसंस्कृति का संगम था, बुंदेलखंडी लोकनृत्य दिवारी, मौन व्रत चलती टोली, गधा-मेला जैसे उपक्रमों ने इसे मेला-माहौल बना दिया।
4. इस उत्सव का सामाजिक-आर्थिक व पर्यटन-प्रभाव
इस तरह का आयोजन केवल धार्मिक-आस्था-अनुष्ठान तक सीमित नहीं रहा। सामाजिक-आर्थिक रूप से भी यह क्षेत्र-के लिए लाभदायक रहा है। लगभग 40 लाख की उपस्थिति ने स्थानीय व्यवसायों, होटलों, परिवहन, हस्तशिल्प को बढ़ावा दिया। रात में सजाए गए तोरण द्वार रोशनी ने पर्यटन को आकर्षित किया। प्रशासन द्वारा बताया गया कि इस मेले के चलते आने वाले महीनों में इस क्षेत्र में विकास कार्यों को गति दी जाएगी, जो लंबे समय में रोजगार व स्थायी पर्यटन-संभावनाएं खोलेंगे।





