समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा जौनपुर जिले के सदर विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदाताओं के नाम गलत तरीके से मतदाता सूची से हटाने के आरोपों ने सियासी हलचल मचा दी थी। इस शिकायत को लेकर सपा मुखिया ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था। अब जिला प्रशासन ने इस मामले में जांच पूरी कर स्पष्टीकरण जारी किया है, जिसमें आरोपों को पूरी तरह निराधार और भ्रामक बताया गया है। यह मामला चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाने के साथ-साथ राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है।
जौनपुर के जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र ने अखिलेश यादव की शिकायत की जांच कराई। जांच में पाया गया कि सदर विधानसभा क्षेत्र 366 के जिन पांच मतदाताओं के नाम काटे जाने की शिकायत की गई थी, वे सभी जीवित नहीं हैं। इलेक्शन रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ) की जांच में स्पष्ट हुआ कि इन मतदाताओं के नाम नियमानुसार वर्ष 2022 में ही मतदाता सूची से हटा दिए गए थे। इसकी पुष्टि मृतक मतदाताओं के परिवार वालों और स्थानीय सभासद ने भी की। जिलाधिकारी ने कहा कि शिकायत में कोई तथ्य नहीं है और यह पूरी तरह भ्रामक है।
जिला प्रशासन ने दी पारदर्शिता की गारंटी
जिलाधिकारी ने इस मामले की जानकारी एक्स पर साझा करते हुए स्पष्ट किया कि मतदाता सूची से नाम हटाने में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बरती जा रही है। इस घटना ने सियासी आरोप-प्रत्यारोप को हवा दी, लेकिन जांच के नतीजों ने सपा के आरोपों को खारिज कर दिया। जिलाधिकारी ने मतदाताओं से अपील की कि वे किसी भी अफवाह या गलत जानकारी पर ध्यान न दें और चुनावी प्रक्रिया पर भरोसा रखें।
चुनावी प्रक्रिया में सख्ती का आश्वासन
जौनपुर सदर विधानसभा क्षेत्र का यह मामला चुनावी प्रक्रिया की गंभीरता को रेखांकित करता है। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में किसी भी तरह का परिवर्तन नियमानुसार और उचित प्रक्रिया के तहत ही किया जाता है। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस जांच ने न केवल सपा के आरोपों को निराधार साबित किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि जिला प्रशासन पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध है।





