उत्तर प्रदेश के 115 पंजीकृत राजनीतिक दलों पर केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने बड़ी कार्रवाई की है। आयोग ने इन्हें पंजीकृत राजनीतिक दलों की सूची से बाहर कर दिया है। ये वे दल हैं, जिन्होंने वर्ष 2019 से अब तक लगातार छह वर्षों में न तो कोई लोकसभा या विधानसभा चुनाव लड़ा और न ही उत्तर प्रदेश में अपने पंजीकृत पते पर इनका कोई वजूद मिला।
क्या है मामला?
यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिनवा ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग ने 9 अगस्त को जारी आदेश में इन दलों को सूची से बाहर करने की बात कही है। आदेश के मुताबिक, लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29-B और धारा 29-C, आयकर अधिनियम 1961 के प्रावधान और चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश 1968 के तहत राजनीतिक दलों को मिलने वाले किसी भी लाभ का ये दल अब हकदार नहीं रहेंगे।
लखनऊ से 20 दलों को लिस्ट से हटाया
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, सूची से बाहर किए गए दल आगामी 30 दिनों के भीतर केंद्रीय निर्वाचन आयोग में अपील कर सकते हैं। जिन जिलों के दलों की मान्यता खत्म की गई है, उनमें राजधानी लखनऊ शीर्ष पर है, जहां 20 दलों को सूची से हटाया गया। इसके बाद वाराणसी का नंबर आता है, जहां 17 दलों की मान्यता गई।
अन्य जिलों से दलों की मान्यता रद्द
इसके अलावा गाजियाबाद के 6, कानपुर नगर और गौतमबुद्धनगर के 5-5, प्रयागराज, देवरिया और बिजनौर के 4-4, जबकि आगरा और झांसी के 3-3 दलों की मान्यता रद्द की गई। साथ ही, 30 अन्य जिलों में एक या दो दलों के नाम सूची से बाहर किए गए हैं।





