उत्तर प्रदेश के कानपुर में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (ACMO) डॉ. सुबोध यादव को आखिरकार मंगलवार को निलंबित कर दिया गया। यह कार्रवाई उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के आदेश के 13 दिन बाद हुई। प्रमुख सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा ने 24 जुलाई को निलंबन आदेश जारी किया, जिसके बाद विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
डॉ. सुबोध डीटीओ (ड्रग ट्रायल ऑफिसर) के पद पर कार्यरत थे। आरोप है कि उन्होंने नवंबर 2024 में फार्मासिस्ट, वरिष्ठ वित्त अधिकारी और अन्य के साथ मिलकर एक दवा आपूर्ति फर्म मेसर्स जेएम फार्मा से सांठगांठ की और सरकारी जेम पोर्टल पर रिकॉर्ड में हेराफेरी कर घटिया गुणवत्ता की सामग्री खरीदी। इस प्रक्रिया में 1.60 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
हेराफेरी का है आरोप
अक्टूबर 2024 में एक फर्म को अधूरे दस्तावेजों के बावजूद बिड में सफल घोषित किया गया था। फर्म ने तय समय पर आपूर्ति नहीं की, बावजूद इसके रविवार के दिन नया क्रयादेश जारी कर उसे अतिरिक्त समय दे दिया गया। आपूर्ति की गई सामग्री के बैच नंबरों में भी गड़बड़ियां पाई गईं। इसके बाद दिसंबर 2024 में फर्म को भुगतान करने का प्रयास भी हुआ।
जांच में दोषी पाए गए
CMO हरिदत्त नेमी के मुताबिक मामले की जांच कराई गई थी, जिसमें डॉ. सुबोध यादव को दोषी पाया गया। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। फिलहाल डॉ. यादव को महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, लखनऊ कार्यालय से संबद्ध किया गया है।
अन्य आरोपियों पर भी गिरेगी गाज
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की मानें तो इस मामले में संलिप्त अन्य कर्मचारियों पर भी जल्द कार्रवाई हो सकती है। इनमें फार्मासिस्ट अवनीश शुक्ल, डॉ. वंदना सिंह और तत्कालीन वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी शामिल हैं। बता दें, प्रमुख आरोपी चीफ फार्मासिस्ट अब रिटायर हो चुके हैं। यह कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है।





