उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को अपने सरकारी आवास पर कानपुर मंडल के विधायकों के साथ विशेष संवाद बैठक की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों से कहा कि जन आकांक्षाओं को प्राथमिकता दी जाए और योजनाओं को समयबद्ध तरीके से जमीन पर उतारा जाए। उन्होंने लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए कि जनप्रतिनिधियों से विमर्श कर कार्यों की प्राथमिकता तय की जाए और पूरी पारदर्शिता के साथ उन्हें लागू किया जाए।
1,362 कार्य प्रस्तावित
बैठक में कानपुर मंडल के छह जिलों कानपुर नगर, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा और औरैया के लिए कुल 1,362 विकास कार्यों का प्रस्ताव पेश किया गया, जिनकी अनुमानित लागत ₹10,914 करोड़ है।
- कानपुर नगर में सबसे अधिक ₹5,006 करोड़ की लागत से 426 योजनाएं
- फर्रुखाबाद में ₹2,476 करोड़ से 308 कार्य
- कानपुर देहात में ₹1,214 करोड़ से 336 कार्य
- कन्नौज में ₹1,076 करोड़ से 98 कार्य
- इटावा में ₹620 करोड़ के 128 कार्य
- औरैया में ₹524 करोड़ से 66 कार्य प्रस्तावित हैं।
इन कार्यों में सड़क निर्माण, फ्लाईओवर, पुल, बाईपास, धार्मिक स्थलों के विकास, सुरक्षा उपाय और लॉजिस्टिक्स से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं।
शिलापट्ट पर जनप्रतिनिधियों के नाम का आदेश
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि नगर विकास विभाग द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यों के शिलापट्टों पर संबंधित स्थानीय जनप्रतिनिधियों का नाम अनिवार्य रूप से अंकित किया जाए। उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं केवल सरकारी खर्च का ब्योरा नहीं, बल्कि जनता के विश्वास की पूंजी हैं।
कानपुर मंडल बनेगा विकास का अग्रदूत
सीएम योगी ने कानपुर मंडल को उत्तर प्रदेश के विकास का “अग्रदूत” बताते हुए कहा कि आने वाले समय में यह मंडल पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बनेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस क्षेत्र की औद्योगिक विरासत, शैक्षिक उपलब्धियों और सांस्कृतिक चेतना को आधुनिक विकास से जोड़ने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है।
जनप्रतिनिधियों के सुझावों को मिलेगा महत्व
मुख्यमंत्री ने इस बैठक को केवल विकास परियोजनाओं की समीक्षा का मंच न बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र की जीवंत परंपरा है, जिसमें शासन और जनता के बीच की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी यानी जनप्रतिनिधियों से सीधे संवाद किया गया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जनप्रतिनिधियों के अनुभवों और फील्ड इनपुट्स को केवल दस्तावेज़ों तक सीमित न रखें, बल्कि नीति निर्धारण का आधार बनाएं।





