उत्तर प्रदेश विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव ने शिक्षा से जुड़े कई मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा कि प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में प्रवेश की आयु अलग-अलग होने से अभिभावकों को परेशानी होती है। प्राइवेट स्कूल तीन साल की उम्र में बच्चों को दाखिला देते हैं, जबकि सरकारी स्कूलों में यह उम्र पांच साल है। ऐसे में जो लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं, उन्हें दो साल तक इंतजार करना पड़ता है। इस वजह से कई अभिभावक मजबूरी में निजी स्कूलों का रुख कर लेते हैं। उन्होंने मांग की कि निजी और सरकारी स्कूलों में प्रवेश की उम्र समान होनी चाहिए।
स्कूलों के मर्जर पर सवाल
लाल बिहारी यादव ने स्कूलों के मर्जर पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि शिक्षा समाज को आगे बढ़ाने का काम करती है, लेकिन भाजपा सरकार इसे बंद करने में लगी है। शिक्षा को संविधान की समवर्ती सूची में इसलिए रखा गया था ताकि सभी को इसका समान अधिकार मिले। चाहे स्कूल में 25 बच्चे हों या 50, उसे बंद नहीं होना चाहिए। यहां तक कि अगर किसी स्कूल में केवल पांच छात्र हैं, तब भी सरकार को उस पर खर्च करना चाहिए।
NCRT की किताबों का मुद्दा
उन्होंने एनसीईआरटी की किताबों की उपलब्धता का मुद्दा भी उठाया। उनका कहना था कि परिषदीय विद्यालयों, अनुदानित और सहायता प्राप्त स्कूलों को किताबें तो मिल जाती हैं, लेकिन काफी बच्चे अब भी किताबों से वंचित रह जाते हैं। सरकार को चाहिए कि निजी दुकानों पर भी इन किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित करे। बंद मदरसों के मामले में उन्होंने कहा कि सरकार ने अनुदान बंद कर दिया है, फिर भी ये चल रहे हैं। एक मुस्लिम अपनी आय का 10% जकात के रूप में रखता है, और इन्हीं पैसों से मदरसों का संचालन होता है। इसके बावजूद सरकार उनकी जांच करा रही है।
कम्प्यूटर शिक्षा को अनिवार्य बनाने पर जोर
उन्होंने मानक से अधिक प्रवेश पर भी चिंता जताई। बलिया का उदाहरण देते हुए कहा कि एक बालिका विद्यालय में 4,000 छात्राएं पढ़ रही थीं, जबकि यह संख्या मानक से कहीं ज्यादा है। उन्होंने मानक से अधिक प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की। साथ ही, कम्प्यूटर शिक्षा को अनिवार्य बनाने पर भी जोर दिया। इस दौरान विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा ने भी स्कूलों को बंद करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हमारे लोग बच्चों की पढ़ाई के लिए पीडीए पाठशालाएं चला रहे हैं, लेकिन उनके कार्यकर्ताओं पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।





