राजधानी लखनऊ की स्ट्रीट लाइट व्यवस्था किस कदर चरमराई हुई है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नगर विकास मंत्री एके शर्मा को खुद औचक निरीक्षण के दौरान बड़े पैमाने पर बंद लाइटें मिलीं। एके शर्मा ने शहर के वीआईपी इलाकों का निरीक्षण किया। शुरुआत की गई ला मार्टिनियर कॉलेज, गोल्फ कोर्स और विक्रमादित्य मार्ग से। यहां करीब 15 स्ट्रीट लाइटें बंद मिलीं। फिर काफिला पहुंचा वृंदावन कॉलोनी। इस वीआईपी इलाके में तो हाल और भी बदतर थे। कॉलोनी के सेक्टर 9C, 11A, 7A, 8B, 8C समेत तमाम हिस्सों में 90 फीसदी स्ट्रीट लाइटें बंद पाई गईं। खास बात ये रही कि महापौर सुषमा खर्कवाल खुद इसी कॉलोनी में रहती हैं।
तीन कर्मचारी बर्खास्त
निरीक्षण के दौरान मंत्री एके शर्मा के तेवर सख्त दिखे। जवाब-तलबी के दौरान अफसरों के पास कोई ठोस जवाब नहीं था। इसके बाद अपर नगर आयुक्त ललित कुमार ने स्ट्रीट लाइट सेक्शन के तीन कर्मचारियों शोभित यादव, अनूप कुमार और जयचंद्र को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया। वहीं दो कर्मचारियों रामसागर और राजेंद्र का ट्रांसफर कर दिया गया। इसके अलावा अनिल कुमार और आनंद का वेतन रोकने का आदेश जारी हुआ।
जिम्मेदार कौन?
शहर में स्ट्रीट लाइटों की जिम्मेदारी नगर निगम के मार्ग प्रकाश विभाग और विद्युत यांत्रिक विभाग पर है। इसमें अहम भूमिका अपर नगर आयुक्त ललित कुमार और मुख्य अभियंता मनोज प्रभात की है। बताया जा रहा है कि अधिकारियों द्वारा समय-समय पर फील्ड निरीक्षण नहीं किए जाने के चलते लाइटें बंद पड़ी रहीं और किसी को भनक तक नहीं लगी।
रिपोर्ट खुद दी, फिर नकार गए
सबसे दिलचस्प बात ये रही कि निरीक्षण के बाद 90 प्रतिशत लाइटें बंद होने की रिपोर्ट खुद अपर नगर आयुक्त ललित कुमार ने तैयार की और लिखित में दी। मगर जब अखबार ने इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने खुद ही इस आंकड़े से पल्ला झाड़ लिया। कहा “हमें नहीं पता आंकड़ा कहां से आया। जितनी लाइटें खराब हैं, उन्हें दुरुस्त कराया जा रहा है।”
नींद से जागे अफसर
मंत्री का दौरा जैसे ही खत्म हुआ, नगर निगम महकमे में हलचल तेज हो गई। अगले ही दिन यानी 30 जुलाई को अपर नगर आयुक्त ने फिर से वृंदावन कॉलोनी का निरीक्षण किया और अपनी ही रिपोर्ट में 90% स्ट्रीट लाइटों के खराब होने की पुष्टि की। वहीं एक और जूनियर इंजीनियर को तत्काल प्रभाव से वहां तैनात कर दिया गया है।





