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Mon, Dec 22, 2025

सभी ने सुना है निरंजनी अखाड़े का नाम, जानिए वो अनसुनी बातें, जो इसे बनाती हैं सबसे खास

Written by:Bhawna Choubey
Published:
Last Updated:
निरंजनी अखाड़ा हर महाकुंभ मेले में अपनी खास उपस्थिति दर्ज करता है, हर किसी ने इस अखाड़े का नाम सुन रखा है, लेकिन बहुत कम लोग ही ऐसे हैं, जिन्हें इस अखाड़े के बारे में विस्तार से पता है।
सभी ने सुना है निरंजनी अखाड़े का नाम, जानिए वो अनसुनी बातें, जो इसे बनाती हैं सबसे खास

Mahakumbh 2025: कुछ ही दिनों में महाकुंभ मेला शुरू होने जा रहा है, जिसको लेकर लोगों में बड़ा ही उत्साह और उल्लास नजर आ रहा है। इस बार महाकुंभ मेले का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने जा रहा है। यह 13 जनवरी 2025 से शुरू होगा और 26 फरवरी 2025 तक चलेगा।

महाकुंभ के दौरान 13 अखाड़ों के साधु संतों का आगमन होता है, सभी अखाड़ों का अपना-अपना अलग नाम होता है और पहचान होती है। जब कभी भी महाकुंभ मेले की बात आती है, तो निरंजनी अखाड़े का नाम जरुर लिया जाता है। आपने भी कभी ना कभी निरंजनी अखाड़े के बारे में जरूर सुना होगा। निरंजनी अखाड़ा खास रूप से चर्चा का विषय बनता है।

निरंजनी अखाड़ा

अगर आप जानते हैं कि निरंजनी अखाड़ा क्या होता है, तो यह बहुत ही अच्छी बात है लेकिन अगर आप नहीं जानते हैं, तो हम आपके यहां विस्तार से बताएंगे कि निरंजनी अखाड़ा क्या होता है, और इसे इतना खास क्यों माना जाता है, तो चलिए बिना देर करते हुए शुरू करें।

भगवान कार्तिकेय के अनुयायी

सबसे पहले तो आपको यह जानने की जरूरत है कि निरंजनी अखाड़े को भगवान कार्तिकेय के अनुयायी माना जाता है। इस अखाड़े के मठ और आश्रम देश के प्रमुख स्थानों पर स्थित है, जैसे प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार, उज्जैन, मिर्जापुर, माउंट आबू, जयपुर, वाराणसी, नोएडा, वड़ोदरा आदि।

10,000 नागा संन्यासी और 33 महामंडलेश्वरों का रहस्य

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वरों की संख्या 33 और नागा संन्यासियों की संख्या 10,000 से भी अधिक है, यह सभी अपनी साधना और तपस्या के लिए प्रसिद्ध है।

इतना ही नहीं ऐसा भी बताया जाता है कि अखाड़े के पास अधिक संपत्ति है, जिसका उपयोग मठों, मंदिरों और अन्य धार्मिक कार्यों के संचालन के लिए किया जाता है। इस अखाड़े का महत्व महाकुंभ के दौरान और भी बढ़ जाता है।

726 ईस्वी में स्थापित

संगम नगरी प्रयागराज में 4 जनवरी को इस अखाड़े की पेशवाई हुई जो उसमें अखाड़े के सभी साधु संत ने भाग लिया। यह शोभा यात्रा बहुत ही बड़ी होती है और विशेष धार्मिक महत्व रखती है।

निरंजनी अखाड़े की स्थापना 726 ईस्वी में गुजरात के मांडवी में हुई थी। कई ऐसे महान संत थे जिन्होंने इसकी स्थापना में मदद की जैसे महंत अजि गिरी, मौनी सरजूनाथ गिरी, पुरुषोत्तम गिरी, हरिशंकर गिरी, रणछोड़ भारती, अर्जुन भारती, जगजीवन भारती, जगन्नाथ पुरी, स्वभाव पूरी, कैलाश पुरी, खड्ग नारायण पुरी और स्वभाव पूरी आदि।

70% साधु संतों ने हासिल की है उच्च शिक्षा

निरंजनी अखाड़ा अपनी शिक्षा और ज्ञान के कारण अन्य अखाड़ों से अलग पहचान रखता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस अखाड़े में शामिल साधु संतों में से करीब 70% ने उच्च शिक्षा प्राप्त की हुई है, जिनमें कोई डॉक्टर, प्रोफेसर, इंजीनियर तो कोई अन्य प्रोफेशनल हैं। इस अखाड़े में मौजूद साधु न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं बल्कि समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।