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Thu, Dec 18, 2025

मोहन भागवत का बड़ा बयान; RSS काशी-मथुरा आंदोलनों से हो सकता दूर, स्वयंसेवकों की व्यक्तिगत भागीदारी को हरी झंडी

Written by:Saurabh Singh
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मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू मानस में अयोध्या, काशी और मथुरा का विशेष महत्व है, क्योंकि ये धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र हैं। उन्होंने हिंदू समाज से अपील की कि इन तीन स्थलों तक ही मंदिर निर्माण की मांग सीमित रखी जाए, ताकि भाईचारा और सामाजिक सौहार्द बना रहे।
मोहन भागवत का बड़ा बयान; RSS काशी-मथुरा आंदोलनों से हो सकता दूर, स्वयंसेवकों की व्यक्तिगत भागीदारी को हरी झंडी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने गुरुवार को संघ शताब्दी समारोह में काशी और मथुरा मंदिर आंदोलनों पर स्पष्ट रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन को छोड़कर, जिसमें संघ ने पूर्ण समर्थन दिया था, RSS किसी अन्य आंदोलन में शामिल नहीं होगा। अयोध्या में राम मंदिर के बाद काशी और मथुरा में मंदिर निर्माण की मांग अदालतों में लंबित है, और भागवत ने इसे हिंदू समाज का सांस्कृतिक आग्रह बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ संगठन के रूप में इन आंदोलनों से दूरी बनाए रखेगा, लेकिन स्वयंसेवक व्यक्तिगत रूप से इसमें हिस्सा ले सकते हैं।

मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू मानस में अयोध्या, काशी और मथुरा का विशेष महत्व है, क्योंकि ये धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र हैं। उन्होंने हिंदू समाज से अपील की कि इन तीन स्थलों तक ही मंदिर निर्माण की मांग सीमित रखी जाए, ताकि भाईचारा और सामाजिक सौहार्द बना रहे। भागवत ने जोर देकर कहा कि हर जगह मंदिर या शिवलिंग की खोज से बचना चाहिए, क्योंकि यह सामाजिक एकता के लिए हानिकारक हो सकता है। यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि राम मंदिर आंदोलन में RSS की सक्रिय भूमिका रही थी, और मथुरा-काशी का मुद्दा बीजेपी के राजनीतिक नारों में भी उभरता रहा है।

आत्मनिर्भर और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा

RSS प्रमुख ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आत्मनिर्भरता पर भी विचार रखे। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार देशों के बीच संबंधों को मजबूत करता है, लेकिन इसे दबाव के बजाय आपसी सहमति पर आधारित होना चाहिए। भागवत ने आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य पर जोर देते हुए कहा कि दुनिया परस्पर निर्भरता पर चलती है, और भारत को इस संतुलन को समझते हुए आगे बढ़ना चाहिए। उनकी यह टिप्पणी मेक इन इंडिया और स्वदेशी जैसे अभियानों से जोड़कर देखी जा रही है, जो आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देते हैं।

देशभक्ति और उद्यमिता को प्राथमिकता

विकसित भारत के दृष्टिकोण पर बोलते हुए भागवत ने देशभक्ति और उद्यमिता को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि देश के लिए जीने और मरने का जज्बा विकसित करने से राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होती है, जबकि उद्यमिता से अर्थव्यवस्था में सुधार आता है। यह बयान RSS के सामाजिक और आर्थिक दर्शन को रेखांकित करता है, जो देशभक्ति और स्वावलंबन पर केंद्रित है। भागवत का यह संदेश काशी-मथुरा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर संयम और व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की अपील के रूप में देखा जा रहा है।