उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में संविधान मान स्तंभ दिवस पर समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने केंद्र और यूपी की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। कैराना लोकसभा से सपा सांसद इकरा ने कहा कि सरकारें लगातार ऐसे कानून ला रही हैं, जो संविधान की आत्मा और नागरिकों के अधिकारों को कमजोर करते हैं।
इकरा हसन ने अपने संबोधन में कहा,
“संविधान हमारा सुरक्षा कवच है, जो हर नागरिक को जीवन, सम्मान और स्वतंत्रता की गारंटी देता है। लेकिन मौजूदा सरकारें ऐसे कानूनों से इसे खोखला कर रही हैं। गरीबों से शिक्षा का अधिकार छीना जा रहा है, बच्चों का भविष्य अंधेरे में धकेला जा रहा है।”
लोकतंत्र पर हमला
कार्यक्रम में इकरा हसन ने सहारनपुर के ADM संतोष बहादुर सिंह के साथ हुए विवाद को भी जोरशोर से उठाया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ उनका व्यक्तिगत अपमान नहीं, बल्कि लोकतंत्र और जनता की आवाज को दबाने की साजिश है।
उन्होंने बताया कि 1 जुलाई को वे छुटमलपुर की नगर पंचायत अध्यक्ष शमा परवीन के साथ ADM से मिलने गई थीं। जनता की समस्याएं बताने के लिए। आरोप है कि उस दौरान ADM ने उनके साथ अभद्रता की और ‘गेट आउट’ कहकर ऑफिस से बाहर निकालने की कोशिश की।
इकरा ने कहा,
“मैं कोई निजी काम नहीं करवाने गई थी। जनता की बात रखने गई थी। अगर एक चुनी हुई सांसद के साथ ऐसा सलूक हो सकता है, तो आम आदमी का क्या हाल होता होगा? हम इसे विशेषाधिकार समिति में उठाएंगे।”
अफसरशाही बेलगाम
सांसद ने कहा कि यूपी में अफसरशाही बेलगाम हो चुकी है। अधिकारियों का रवैया तानाशाही जैसा होता जा रहा है।
“अब तो मानो अधिकारी ही सरकार चला रहे हैं। जनप्रतिनिधियों को भी दबाया जा रहा है। ऐसे में लोकतंत्र कैसे बचेगा?”
इकरा ने सरकार से मांग की कि अधिकारियों को संवैधानिक मर्यादा और जनप्रतिनिधियों के सम्मान का पाठ पढ़ाया जाए।
संविधान के तीनों स्तंभों से की अपील
इकरा हसन ने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका से निष्पक्षता की अपील की। इस दैरान कहा कि लोकतंत्र तभी बचेगा जब ये तीनों स्तंभ अपनी-अपनी मर्यादा में रहकर ईमानदारी से काम करें। अफसरशाही की तानाशाही मानसिकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
2027 में सत्ता में वापसी का दावा
कार्यक्रम के अंत में इकरा ने 2024 लोकसभा चुनाव में सपा को मिले समर्थन को याद करते हुए दावा किया कि 2027 में उनकी पार्टी सत्ता में लौटेगी। आगे कहा कि हम सभी वर्गों के सम्मान और अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहेंगे। कोई समझौता नहीं होगा।





