MP Breaking News
Sun, Dec 21, 2025

इटावा में ‘केदारेश्वर मंदिर’ निर्माण पर विवाद, तीर्थ पुरोहितों ने जताया विरोध, आंदोलन की चेतावनी

Written by:Saurabh Singh
Published:
चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष और केदारनाथ धाम के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने आरोप लगाया है कि इटावा में बन रहा ‘केदारेश्वर मंदिर’ न सिर्फ केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति है, बल्कि उसका नाम, रंग, ढांचा और स्वरूप भी एक जैसे हैं।
इटावा में ‘केदारेश्वर मंदिर’ निर्माण पर विवाद, तीर्थ पुरोहितों ने जताया विरोध, आंदोलन की चेतावनी

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा निर्माणाधीन ‘केदारेश्वर मंदिर’ को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। यह मंदिर केदारनाथ धाम की तर्ज पर बनाया जा रहा है, जिसे लेकर उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों और चारधाम महापंचायत ने तीखा विरोध जताया है। चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष और केदारनाथ धाम के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने आरोप लगाया है कि इटावा में बन रहा ‘केदारेश्वर मंदिर’ न सिर्फ केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति है, बल्कि उसका नाम, रंग, ढांचा और स्वरूप भी एक जैसे हैं। तीर्थ पुरोहितों ने इसे धार्मिक भावनाओं, परंपराओं और उत्तराखंड की आस्था के साथ खिलवाड़ करार दिया है।

बीकेटीसी की चुप्पी पर सवाल

महापंचायत ने बद्री-केदार मंदिर समिति (BKTC) की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि समिति केवल आय पर ध्यान दे रही है और तीर्थ यात्रियों की बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी कर रही है। उन्होंने बीकेटीसी को धार्मिक मामलों पर निष्क्रिय बताया।

अखिलेश यादव पर तीखा हमला

तीर्थ पुरोहितों ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से केदारनाथ मंदिर की नकल कर इटावा में मंदिर निर्माण शुरू कराया है, जबकि उन्होंने अब तक केदारनाथ की यात्रा भी नहीं की। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर निर्माण कार्य पर रोक नहीं लगी, तो अखिलेश यादव के आवास के बाहर प्रदर्शन किया जाएगा।

सरकार से कार्रवाई की मांग

चारधाम महापंचायत और तीर्थ पुरोहितों ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से मांग की है कि मंदिर का नाम, डिज़ाइन और रंग-रूप बदला जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड कैबिनेट पहले ही इस प्रकार के प्रतीकात्मक निर्माण पर प्रतिबंध का प्रस्ताव पारित कर चुकी है। अगर उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो पूरे उत्तराखंड और देशभर में आंदोलन शुरू किया जाएगा। यह विवाद ऐसे समय पर उभरा है जब देशभर में धार्मिक प्रतीकों और परंपराओं को लेकर लोगों की संवेदनशीलता लगातार बढ़ रही है। अब नजरें योगी सरकार और बीकेटीसी पर टिकी हैं कि वे इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं।