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Mon, Dec 8, 2025

CM योगी और बृजभूषण शरण सिंह की मुलाकात के सियासी मायने, पूर्वांचल की राजनीति में हलचल

Written by:Vijay Choudhary
अब इस मुलाकात को उस सियासी नाराज़गी के पटाक्षेप के तौर पर देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, बृजभूषण लंबे समय से सीएम योगी से संवाद बहाल करने की कोशिशों में लगे थे, और सोमवार को आखिरकार यह कोशिश रंग लाई।
CM योगी और बृजभूषण शरण सिंह की मुलाकात के सियासी मायने, पूर्वांचल की राजनीति में हलचल

सीएम योगी और बृजभूषण सिंह

उत्तर प्रदेश की राजनीति में सोमवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिला, जब कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और कैसरगंज से बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में मुलाकात की। यह मुलाकात न सिर्फ दो बड़े राजनीतिक चेहरों के बीच लंबे समय से जमी बर्फ को पिघलाने का संकेत देती है, बल्कि पूर्वांचल की राजनीति और आगामी 2027 विधानसभा चुनावों को लेकर भी नई चर्चाओं को जन्म दे रही है।

संबंधों में जमी बर्फ पिघली?

बीते कई महीनों से बृजभूषण शरण सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच संवाद लगभग ठप पड़ा था। खासकर तब से जब सीएम योगी ने उनके सियासी विरोधी और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह के घर जाकर उनके पिता राजा आनंद सिंह को श्रद्धांजलि दी और वहां एक घंटे से ज्यादा समय बिताया। इसके बाद बृजभूषण की नाराज़गी को लेकर अटकलें तेज़ हो गई थीं और पार्टी के भीतर उनके भविष्य को लेकर भी असमंजस बढ़ गया था।

लेकिन अब इस मुलाकात को उस सियासी नाराज़गी के पटाक्षेप के तौर पर देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, बृजभूषण लंबे समय से सीएम योगी से संवाद बहाल करने की कोशिशों में लगे थे, और सोमवार को आखिरकार यह कोशिश रंग लाई।

2027 के चुनावी समीकरणों में क्या होगा असर?

इस मुलाकात को महज व्यक्तिगत संबंध सुधारने की पहल मानना जल्दबाज़ी होगी। दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूर्वांचल एक निर्णायक भूमिका निभाता है। बृजभूषण शरण सिंह का प्रभाव पूर्वांचल के कैसरगंज, गोंडा, बहराइच और श्रावस्ती जैसे जिलों में बेहद मजबूत है। ये जिले बीजेपी के लिए हमेशा से रणनीतिक दृष्टि से अहम रहे हैं।

2027 में जब योगी आदित्यनाथ एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर उतरेंगे, तो उन्हें पूर्वांचल में पहले से ही जमी भाजपा की जड़ों को और मजबूत करना होगा। ऐसे में बृजभूषण जैसे नेता की नाराज़गी पार्टी को राजनीतिक नुकसान पहुंचा सकती थी। इस लिहाज से यह मुलाकात सिर्फ संबंध सुधारने का नहीं, बल्कि भविष्य की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी मानी जा रही है।

बृजभूषण का सियासी सफर

बृजभूषण शरण सिंह का नाम उत्तर प्रदेश की राजनीति में सशक्त लेकिन विवादास्पद चेहरों में गिना जाता है। वो छह बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और अपने क्षेत्र में उनकी जनाधार वाली राजनीति आज भी कायम है।

हालांकि, 2023 में उनका नाम उस समय सुर्खियों में आया जब महिला पहलवानों ने उन पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे। इस मामले में दिल्ली के जंतर-मंतर पर लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुआ। बाद में अदालत ने उन्हें साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया, लेकिन इस विवाद ने उनकी सियासी छवि को ठेस जरूर पहुंचाई।

बीजेपी के भीतर समीकरणों का संतुलन

हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश बीजेपी में आंतरिक खींचतान और धड़ों की राजनीति की खबरें सुर्खियों में रही हैं। ऐसे में बृजभूषण की योगी से मुलाकात को पार्टी नेतृत्व द्वारा एकजुटता और संतुलन बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

इस मुलाकात से यह भी संकेत मिलते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी पुराने नाराज़ नेताओं को फिर से साधने और जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है। इससे उन कार्यकर्ताओं और समर्थकों को भी संदेश जाएगा जो बृजभूषण शरण सिंह के प्रभाव वाले क्षेत्रों में अब भी सक्रिय हैं।

सिर्फ मुलाकात नहीं, सियासी पुनःस्थापन

योगी आदित्यनाथ और बृजभूषण शरण सिंह की यह मुलाकात सिर्फ व्यक्तिगत संबंधों को सुधारने तक सीमित नहीं है। यह उत्तर प्रदेश बीजेपी की रणनीतिक तैयारियों और पूर्वांचल में शक्ति संतुलन स्थापित करने की एक बड़ी पहल के रूप में देखी जा रही है।

आगामी दिनों में यह साफ होगा कि बृजभूषण सिंह की पार्टी में भूमिका क्या रहती है और क्या उन्हें दोबारा कोई पद या जिम्मेदारी दी जाती है। फिलहाल इतना तो तय है कि उत्तर प्रदेश की सियासत में यह मुलाकात एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।