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Thu, Dec 18, 2025

सांसद रवि किशन की संसद में मांग- देशभर के ढाबा-होटलों पर खाने की कीमत, क्वालिटी और मात्रा के लिए बने कानून

Written by:Saurabh Singh
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रवि किशन ने मुंबई के वड़ा पाव, दिल्ली के चांदनी चौक और अपने क्षेत्र गोरखपुर के समोसे का उदाहरण देते हुए कहा कि अलग-अलग जगहों पर इनके साइज और रेट में बहुत अंतर होता है।
सांसद रवि किशन की संसद में मांग- देशभर के ढाबा-होटलों पर खाने की कीमत, क्वालिटी और मात्रा के लिए बने कानून

गोरखपुर से बीजेपी सांसद और अभिनेता रवि किशन ने संसद में खाने-पीने के सामान की कीमत, क्वालिटी और मात्रा को लेकर बड़ा मुद्दा उठाया है। बुधवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि देशभर में ढाबों, होटलों और रेस्तरां में मिलने वाले भोजन के लिए एक समान मानक तय किए जाएं।

क्या कहा रवि किशन ने?

रवि किशन ने मुंबई के वड़ा पाव, दिल्ली के चांदनी चौक और अपने क्षेत्र गोरखपुर के समोसे का उदाहरण देते हुए कहा कि अलग-अलग जगहों पर इनके साइज और रेट में बहुत अंतर होता है। उन्होंने कहा,

“दाल तड़का कहीं 100 रुपये में मिलता है, कहीं 400 रुपये में। कहीं समोसा बड़ा, कहीं छोटा। कोई तय मानक नहीं है।”

उन्होंने सवाल उठाया कि जब लाखों लोग रोज़ इन ढाबों और होटलों में खाना खाते हैं, तो फिर इसकी कोई नीति क्यों नहीं है? उन्होंने कहा कि

“इतना बड़ा फूड मार्केट पूरी तरह बिना रेगुलेशन के चल रहा है। ये उचित नहीं है।”

पीएम मोदी की सराहना

रवि किशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने बीते 11 वर्षों में कई क्षेत्रों में बड़े सुधार किए हैं, लेकिन खानपान के इस क्षेत्र पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि

“छोटे ढाबे से लेकर फाइव स्टार होटलों तक हर जगह मिलने वाले खाने की क्वालिटी, उसकी मात्रा और कीमत को तय करने के लिए कानून बनाया जाए।”

क्यों अहम है ये मुद्दा?

भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। यहां कस्बों से लेकर मेट्रो शहरों तक ढाबों और होटलों की भरमार है। रवि किशन के मुताबिक, जब करोड़ों लोग रोज इन जगहों पर खाना खाते हैं, तो उन्हें तयशुदा और वाजिब कीमत पर गुणवत्तायुक्त भोजन मिलना चाहिए। रवि किशन की यह मांग सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन सकती है। खासकर उन लोगों के बीच जो आए दिन रेस्टोरेंट्स में बदलते मेन्यू प्राइस और सर्विंग क्वालिटी से जूझते हैं।